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लालबहादुर शास्त्री जयंती: जब लालबहादुर शास्त्री ने अपने बेटे का प्रमोशन कर दिया था रद्द!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री की 113वीं जयंती पर विजयघाट में उनकी समाधि पर पुष्पांजली अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

Updated on: 02 Oct 2017, 06:23 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लाल बहादुर शास्त्री की 113वीं जयंती पर विजयघाट में उनकी समाधि पर पुष्पांजली अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

पीएम मोदी ने एक वीडियो को साझा करते हुए ट्वीट किया कि 'किसानों और जवानों को प्रेरणा देने वाले और राष्ट्र का कुशल नेतृत्व करने वाले शास्त्री जी को मेरा नमन। लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं।'

लाल बहादुर शास्त्री सादा जीवन जीने में विश्‍वास रखते थे। प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्‍होंने अपने बेटे के कॉलेज एडमिशन फॉर्म में अपने आपको प्रधानमंत्री न लिखकर सरकारी कर्मचारी लिखा। उन्‍होंने कभी अपने पद का इस्तेमाल परिवार के लाभ के लिए नहीं किया।

उनके बेटे ने एक आम इंसान के बेटे की तरह खुद को रोजगार के लिए रजिस्‍टर करवाया था। एक बार जब उनके बेटे को गलत तरह से प्रमोशन दे दिया गया, तो शास्‍त्री जी ने खुद उस प्रमोशन को रद्द करवा दिया।

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2 अक्टूबर, 1904 को जन्मे लाल बहादुर शास्त्री ने 11 जनवरी, 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में अंतिम सांस ली थी। वह पहले व्यक्ति थे, जिन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया था।

आइये जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ीं खास बातें:

  • पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया।
  • बनारस में पैदा हुए शास्‍त्री का स्‍कूल गंगा की दूसरी तरफ था। उनके पास गंगा नदी पार करने के लिए फेरी के पैसे नहीं होते थे। इसलिए वह दिन में दो बार अपनी किताबें सिर पर बांधकर तैरकर नदी पार करते थे और स्कूल जाते थे।
  • जन्‍म से 'वर्मा' होने के बावजूद शास्त्री जी जाति प्रथा का हमेशा विरोध करते रहे। यहां तक कि उन्होंने कभी अपने नाम के आगे भी अपनी जाति का उल्लेख नहीं किया। शास्त्री की उपाधि उनको काशी विश्वविद्यालय से मिली थी।

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  • बनारस के हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज में हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान उन्होंने साइंस प्रैक्टिकल में इस्तेमाल होने वाले बीकर को तोड़ दिया था। स्कूल के चपरासी देवीलाल ने उनको देख लिया और उन्‍हें जोरदार थप्पड़ मार दिया था। रेल मंत्री बनने के बाद 1954 में एक कार्यक्रम में भाग लेने आए शास्त्री जी जब मंच पर थे, तो देवीलाल उनको देखते ही हट गए पर शास्त्री जी ने उन्हें पहचान लिया और देवीलाल को मंच पर बुलाकर गले लगा लिया।
  • लाल बहादुर शास्‍त्री, बापू को अपना आदर्श मानते थे। उन्‍हें खादी से इतना लगाव था कि अपनी शादी में दहेज के तौर पर उन्‍होंने खादी के कपड़े और चरखा लिया था।
  • एक बार लाल बहादुर शास्‍त्री रेल की AC बोगी में सफर कर रहे थे। इस दौरान वे यात्रियों की समस्या जानने के लिए थर्ड क्लास (जनरल बोगी) में चले गए। वहां उन्होंने यात्रियों की दिक्कतों को देखा। उन्‍होंने जनरल बोगी में सफर करने वाले यात्रियों के लिए पंखा लगवा दिया। पैंट्री की सुविधा भी शुरू करवाई।
  • शास्त्री ने युद्ध के दौरान देशवासियों से अपील की थी कि अन्न संकट से उबरने के लिए सभी देशवासी सप्ताह में एक दिन का व्रत रखें। उनके अपील पर देशवासियों ने सोमवार को व्रत रखना शुरू कर दिया था।

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  • लालबहादुर शास्त्री की मौत को अरसा बीत चुका है। लेकिन आज तक पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मौत की गुत्थी सुलझ नहीं पाई है। 11 जनवरी 1966 को भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध खत्म होने के बाद शास्त्री जी पाक सैन्य शासक जनरल अयूब खान के साथ सोवियत संघ के ताशकंद शहर में शांति समझौता करने गए थे। इसी रात देश से बाहर शास्त्री जी को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनकी मौत हो गयी।
  • शास्त्री जी के बेटे सुनील शास्त्री का कहना था कि उनके पिता को जहर देकर मारा गया है। उन्होंने कहा था कि जब शास्त्री जी की बॉडी को देखा तो उनकी चेस्ट, पेट और पीठ पर नीले निशान थे।
  • लालबहादुर शास्त्री की पत्नी का मानना था कि जब मेरे पति की मौत दिल के दौरा पड़ने से हुई तो उनका शरीर नीला क्यों हो गया। हैरान करने वाली बात ये है कि शास्त्री जी के निधन के बाद उनका पोस्टमार्टम भी नहीं करवाया गया था।

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