लखीमपुर: यूपी सरकार की जांच से SC सन्तुष्ट नहीं, रिटायर्ड HC जज से जांच की निगरानी का दिया संकेत
लखीमपुर मामले में यूपी सरकार की अब तक की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष जाहिर किया है. कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले की जांच की निगरानी का जिम्मा पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को सौंपाना चाहता है.
नई दिल्ली:
लखीमपुर मामले में यूपी सरकार की अब तक की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने असंतोष जाहिर किया है. कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले की जांच की निगरानी का जिम्मा पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को सौंपाना चाहता है. कोर्ट ने इस पर यूपी सरकार को अपना रुख साफ करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि SIT की जांच से ऐसा लगता है कि वो इस मामले से जुडी तीन एफआईआर में चल रही जांच को आपस में मिला रही है. दरअसल लखीमपुर को लेकर तीन एफआईआर दर्ज की है. पहली एफआईआर (नंबर 219 ) प्रदर्शनकारी किसानों को कार से रौंदे जाने को लेकर है. दूसरी एफआईआर (नंबर 220) इसके प्रतिशोध में वहाँ मौजूद लोगों द्वारा की जाने वाली लिंचिंग को लेकर है, तीसरी एफआईआर पत्रकार रमन कश्यप की मौत को लेकर है. आज कोर्ट का सवाल था कि ऐसा लगता है कि एफआईआर 220 की जांच के सिलसिले में दर्ज किए गवाहों के बयान से पहली एफआईआर के मुख्य आरोपी को फायदा पहुंच रहा है
कोर्ट ने कहा कि हम चाहते है कि तीनों एफआईआर में अलग अलग जांच हो. तीनों में अलग अलग सबूत और गवाहों के बयान दर्ज हो. जांच को लेकर ओवरलैपिंग न हो ताकि किसी एक एफआईआर में दर्ज हो रहे गवाहों के बयान,सबूतों का फायदा दूसरी एफआईआर में नामजद आरोपियों का न हो. कोर्ट ने कहा कि यही सुनिश्चित करने के लिए हम चाहते है कि जांच की निगरानी पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज रंजीत सिंह या राकेश कुमार को सौंप दिया जाए. यूपी सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे ने कहा कि कोर्ट के इस सुझाव पर वो यूपी सरकार से निर्देश लेकर अवगत कराएंगे.
सिर्फ एक ही आरोपी का मोबाइल फोन ज़ब्त क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से ये भी पूछा कि इस मामले में सिर्फ आशीष मिश्रा का ही फोन क्यों ज़ब्त किया गया, बाकी आरोपियों के फोन क्यों नहीं बरामद किए
साल्वे ने जवाब दिया कि कुछ आरोपियों की ओर से कहा गया कि उनके पास मोबाइल फोन नहीं है. लेकिन उनके कॉल डिटेल रिकॉर्ड को खंगाला जा रहा है ताकि घटना के वक़्त उनकी लोकेशन की पुष्टि की जा सके. इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने स्टेट्स रिपोर्ट में तो ये कहीं नहीं लिखा कि आरोपियों ने मोबाइल फोन फेंक दिए है, और आप कॉल डिटेल रिकॉर्ड खंगाल रहे है
पत्रकार की मौत कार से कुचलने से हुई, पिटाई से नहीं
यूपी सरकार की ओर से पेश हरीश साल्वे साल्वे की ओर से ये भी साफ किया गया कि कि पत्रकार रमन कश्यप की मौत कार से कुचले जाने से हुई है ना कि प्रदर्शनकारियों की ओर से की गई पिटाई से.साल्वे ने कहा पहले ये माना गया था कि रमन कश्यप आशीष मिश्रा के साथ थे, बाद में पता चला कि वो उन किसानों के साथ मरने वालों शामिल थे, जिनकी कार द्वारा कुचले जाने से मौत हुई. कोर्ट ने भी कहा कि शुरू में हमे भी ऐसा इम्प्रेशन दिया भी गया थ कि पत्रकार की मौत लिंचिंग से हुई. इसलिए हम चाहते है कि हाई कोर्ट के कोई रिटायर्ड जज जांच की निगरानी करें. बहरहाल अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी. तब तक यूपी सरकार को बताना है कि जांच की निगरानी का जिम्मा रिटायर्ड जज को सौपने को लेकर उसका क्या रूख हैं.
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