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सफल नहीं हुई सैलाब से बचने के लिए मजदूरों की आखिरी दौड़, देखें Video

तपोवन बैराज में फंसे कुछ लोगों का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें करीब 10 मजदूर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आ रहे हैं.

Updated on: 11 Feb 2021, 09:53 AM

highlights

  • चमोली की जलप्रलय के सामने आ रहे दिल दहलाने वाले वीडियो
  • 10 मजदूरों का एक समूह नहीं बचा सका पानी के सैलाब से जान
  • रविवार को ग्लेशियर फटने से आई थी चमोली में जलप्रलय

चमोली:

उत्तराखंड के (Chamoli) चमोली जिले में रविवार आई त्रासदी के बाद कई नई तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं. जिस वक्त पानी का सैलाब आया, उस समय तपोवन बैराज में फंसे कुछ लोगों का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें करीब 10 मजदूर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आ रहे हैं. इस नए दिल दहला देने वाले वीडियो में देखा जा सकता है कि लगभग 10 मजदूरों का एक समूह जीवन और मृत्यु के बीच एक जगह से दूसरी जगह भाग रहा है. तपोवन बैराज में फंसे यह मजदूर घातक सैलाब से नहीं बच सके और इसमें बहते दिखाई दे रहे हैं. रविवार की सुबह उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन (Avalanche) ने कहर बरपाया, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और काफी लोग अभी तक लापता हैं, जिनमें से अधिकतर का सैलाब में बह जाने का अनुमान है.

जान बचाने की कोशिश में भागते मजदूर
वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि जब पानी का सैलाब उनके करीब आ रहा था तो मजदूरों ने अपनी जान बचाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भागने की पूरी कोशिश की, लेकिन कीचड़युक्त पानी का तेज बहाव उन्हें बहा ले गया. ये मजदूर उन 174 व्यक्तियों की सूची में शामिल हैं, जो अभी भी लापता हैं, जबकि 34 शव अब तक बरामद किए जा चुके हैं. तपोवन बैराज पर आए सैलाब को ऊंचाई वाले स्थानों पर खड़े कुछ स्थानीय लोगों ने मोबाइल फोन में कैद कर लिया, जो प्रकृति के प्रकोप का गवाह है. वीडियो को देखने पर मालूम पड़ता है कि मजदूरों को बाढ़ के बारे में बहुत देर से जानकारी मिली, इसलिए उनके पास जल्दी से बैराज से बाहर निकलने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं थे. उन्होंने अपने जीवन को बचाने के लिए सामने से आ रहे सैलाब से बचने की कोशिश की और वह बैराज के ऊपर चढ़ गए और शायद इस प्रक्रिया में 10 महत्वपूर्ण मिनटों का नुकसान हुआ, जो जीवन और मृत्यु के बीच अंतर हो सकता है.

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10 सेकंड से मिला था कम वक्त
जब तक मजदूरों का समूह बैराज के शीर्ष पर पहुंचा, तब तक उनके पास खुद को बचाने के लिए 10 सेकंड से भी कम का समय था. वीडियो में स्पष्ट रूप से दिख रहा है कि वे एक कोने से दूसरे कोने तक भागते हुए खुद को उनकी ओर मलबा लेकर आ रहे सैलाब के बहाव से बचाते हैं. जब पानी की एक और धारा उनकी तरफ आने लगी तो मजदूर फिर बैराज की छत पर पिछले स्थान पर भाग गए. लेकिन यह फंसे हुए मजदूरों की आखिरी दौड़ रही, क्योंकि पानी का एक और मजबूत प्रवाह उन्हें बहा ले गया. वीडियो में स्पष्ट रूप से उन्हें बैराज की छत से कीचड़ भरे पानी में गिरते देखा जा सकता है. कोई नहीं जानता कि वे मलबे से युक्त तेज पानी के बहाव से जीवित बच गए होंगे या नहीं, क्योंकि उनके शव अभी तक बरामद नहीं हुए हैं.

बचाव कार्य जारी
धौली गंगा नदी पर तपोवन में 520 मेगावाट की डाउनस्ट्रीम एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना एक भूस्खलन के बाद आई बाढ़ में बह गई थी. इलाके में 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक हिमस्खलन हुआ, जिससे चमोली जिले में ऋषिगंगा नदी में सैलाब की वजह से बाढ़ आ गई. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता ने बताया कि सुरक्षा बल अब उस जगह से मलबा हटाकर वहां जांच करने की योजना बना रहा है, जहां मजदूर बैराज की छत से बाढ़ के पानी में बह जाने के बाद गिरे थे. आईटीबीपी की अगली योजना के बारे में प्रवक्ता ने बताया, 'यह लगभग असंभव लगता है कि मजदूर जिंदा हो सकते हैं, लेकिन हमारा बल हमेशा जान बचाने की कोशिश करेगा. हम जगह खोदेंगे और शव खोजने की कोशिश करेंगे.'

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रविवार को आई जलप्रलय
ऋषि गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में समुद्र तल से 5600 मीटर ऊपर ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ, जो लगभग 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जितना बड़ा था, जिससे ऋषि गंगा नदी के निचले क्षेत्र में फ्लैश फ्लड की स्थिति बन गई. यह त्रासदी रविवार सुबह 10 बजे हुई. ऋषिगंगा में जल स्तर के बढ़ने पर फ्लैश फ्लड के कारण 13.2 मेगावाट की एक कार्यात्मक ऋषिगंगा छोटी पनबिजली परियोजना (स्मॉल हाइड्रो प्रोजेक्ट) को नुकसान पहुंचा है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अपना नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है और सभी आवश्यक उपकरणों के साथ 450 आईटीबीपी कर्मी बचाव और राहत कार्यो में लगे हुए हैं. पांच राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीमें भी घटनास्थल पर पहुंच गई हैं और बचाव और राहत कार्यो में लगी हुई हैं. इसके अलावा भारतीय सेना की आठ टीमें, जिनमें एक इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) शामिल हैं, बचाव कार्य में जुटी हैं.