भारत और पाकिस्तान करीब 18 साल बाद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में आमने-सामने खड़ा है। इस बार मामला भारत के कुलभूषण जाधव का है। जिसे एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनायी है। जिसके खिलाफ भारत ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया है।
18 साल पहले इस्लामाबाद ने अपने एक नौसैनिक विमान को मार गिराये जाने के बाद ICJ से हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी। लेकिन तब कोर्ट ने पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था।
कुलभूषण जाधव के मामले की जनसुनवाई नीदरलैंड के हेग में संयुक्त राष्ट्र के प्रधान न्यायिक अंग आईसीजे के पीस पैलेस के ग्रेट हॉल ऑफ जस्टिस में होगी। यहां भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षों से अपना मत रखने को कहा जाएगा। भारत ने आठ मई को आईसीजे में याचिका दायर की थी और 46 वर्षीय कुलभूषण जाधव के लिये न्याय की मांग करते हुए मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी।
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भारत का तर्क है कि पाकिस्तान ने पूर्व नौसैनिक अधिकारी से दूतावास संपर्क के लिए दिये गये 16 आवेदनों की अनदेखी कर वियना संधि का उल्लंघन किया है। बता दें कि पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पिछले महीने जाधव को कथित तौर पर जासूसी और विध्वंसक गतिविधियों के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी।
जब जाधव के परिवार ने पाकिस्तान को वीजा के लिये आवेदन भेजा तो उसपर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जाधव को पिछले साल तीन मार्च को गिरफ्तार किया गया था।
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वहीं पाकिस्तान मामले में 10 अगस्त 1999 को कच्छ क्षेत्र में भारतीय वायु सेना ने एक पाकिस्तानी समुद्री टोही विमान अटलांटिक को मार गिराया था। जिससे उस विमान में सवार सभी 16 नौसैनिकों की मौत हो गई थी।
पाकिस्तान का कहना था कि विमान को उसके वायुक्षेत्र में मार गिराया गया और इसके एवज में पाक ने भारत से 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर के मुआवजे की मांग की थी। आईसीजे की 16 जजों की पीठ ने 21 जून 2000 को 14-2 से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया था।
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Source : News Nation Bureau