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भारत ने आतंकी कसाब पर भी चलाया 3 साल ट्रायल, पाक ने मात्र एक साल में निर्दोष जाधव को दी फांसी

पाकिस्तान के 'कंगारू कोर्ट' ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई है। जहां न भारत के प्रूफ को माना गया और न ही जाधव की दलील को।

Updated on: 11 Apr 2017, 03:58 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान के 'कंगारू कोर्ट' ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाई है। जहां न भारत के प्रूफ को माना गया और न ही जाधव की दलील को। दरअसल पाकिस्तान ने हमेशा तालिबानी स्टाइल को अपनाया है। वहीं भारत ने अपनी सहिष्णुता, सभ्यता का परिचय हमेशा दिया है। जिसकी पूरी दुनिया कायल रही है।

भारत ने 26 नवंबर 2008 को हुए मुंबई आतंकी हमले में पाकिस्तानी आतंकी आमिर अजमल कसाब को पकड़ा। जिसकी तस्वीर दुनिया ने देखी। वो किस तरह बंदूक लेकर भाग रहा है। मासूम लोगों पर गोलियां चला रहा है। तमाम सबूतों के बावजूद भारत ने करीब तीन साल तक उसके खिलाफ केस चलाया।

वहीं भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने ईरान से किडनैप किया और तरह-तरह की यातनाएं देकर जासूसी की बात कबूलवाई। पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने कहा कि भारतीय नौसेना का अधिकारी जाधव भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) से जुड़ा था, जो हुसैन मुबारक पटेल नाम का इस्तेमाल करता था।

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भारत ने सबूत के साथ कहा है कि वह नौसेना अधिकारी जरूर था लेकिन वह रॉ का नहीं है। पाकिस्तान का कहना है कि जाधव को तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान के माशकेल इलाके में पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी तथा विध्वंसकारी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वहीं भारत ने सबूत दिया है कि कुलभूषण ईरान में कारोबार करते थे। जिसे पाकिस्तान ने ईरान से किडनैप किया।

पुलिस ने अजमल कसाब को नैयर अस्पताल के पास से 27 नवंबर को गिरफ्तार किया था। पुलिस के सामने कसाब ने कबूल किया कि पाकिस्तान से उसने ट्रेनिंग ली है और वह लश्कर का आतंकी है। वहीं जाधव मामले में पाकिस्तान ने सबूत के तौर पर मात्र एक रिकॉर्डेड वीडियो जारी किया है। जिसकी सत्यता पर सवाल उठते रहे हैं।

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ट्रायल के दौरान कसाब की दलील रखने के लिए 17 अप्रैल 2009 को अब्बास कासमी को नियुक्त किया। इससे पहले अंजली वाघमारे कसाब के वकील थे। 1 दिसंबर 2009 को अब्बास काजमी की जगह केपी पवार कसाब के वकील बने। वहीं कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान ने जाधव की कोई दलील नहीं सुनी और अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया।

6 मई 2010 को स्पेशल कोर्ट ने कसाब को फांसी की सजा सुनाई। जिसके खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। 21 फरवरी 2011 को हाईकोर्ट ने दलील के आधार पर कसाब की सजा को बरकरार रखा।

10 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने आतंकी कसाब की फांसी की सजा पर रोक लगा दी। जिसके बाद 31 जनवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट में मामले पर कार्रवाई शुरू हुई। कसाब की दलील रखने के लिए वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन को एमिकस-क्यूरी नियुक्त किया गया।

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बचाव और विरोध में तमाम दलील सुनने के बाद 28 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने आमिर अजमल कसाब की फांसी की सजा बरकरार रखी।

16 अक्टूबर 2012 को राष्ट्रपति के पास आमिर अजमल कसाब की दया याचिका भेजी गई। जिसे राष्ट्रपति ने 5 नवंबर 2012 को खारिज कर दिया। 21 नवंबर 2012 को पाकिस्तानी आतंकी कसाब को पुणे के यरवडा जेल में सुबह 7:30 बजे फांसी दे दी गई।

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जाधव मामले में पाकिस्तान ने गुप्त ट्रायल चलाया और सोमवार (10 अप्रैल 2017) को फांसी की सजा सुनाई। भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह जाधव को भारत वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट क्या राष्ट्रपति तक भारत अपना पक्ष रखेगा।

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