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Mathura: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, रेलवे को जारी किया नोटिस

Mathura: याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि रेलवे जिस जमीन से अतिक्रमण हटा रहा है वहां पिछले 100 साल से भी ज्यादा समय से लोग रह रहे हैं. याचिकाकर्ता ने इसी आधार पर शीर्ष कोर्ट से इस बस्ती को तोड़ने पर रोक की मांग की थी.

Updated on: 16 Aug 2023, 01:33 PM

highlights

  • मथुरा में श्रीकृष्म जन्मभूमि के पास नहीं चलेगा बुलडोजर
  • सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिनों के लिए लगाई रोक
  • सरकार और रेलवे को जारी किया नोटिस

New Delhi:

Srikrishna Janmbhoomi: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूपी के मथुरा में श्रीकृष्म जन्मभूमि और ईदगाह मस्जिद के पास रेलवे की जमीन पर बस बसी अवैध बस्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी. शीर्ष कोर्ट ने इन बस्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान इस पर 10 दिनों की रोक लगा दी. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार और रेलवे को नोटिस भी जारी किया है. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट एक हफ्ते बाद सुनवाई करेगा.

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याचिकाकर्ता ने किया था ये दावा

याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि रेलवे जिस जमीन से अतिक्रमण हटा रहा है वहां पिछले 100 साल से भी ज्यादा समय से लोग रह रहे हैं. याचिकाकर्ता ने इसी आधार पर शीर्ष कोर्ट से इस बस्ती को तोड़ने पर रोक की मांग की थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि रेलवे ने काफी अतिक्रमण पहले ही हटा दिया. अब सिर्फ 70-80 मकान बचे हैं, जिन्हें तोड़ने पर रोक लगाई जाए. शीर्ष कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान कार्रवाई पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी. इसके साथ ही रेलवे से जवाब भी मांगा है. बता दें कि इस सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कोई नहीं पहुंचा.

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रेलवे ने खाली कराई थी जमीन

बता दें कि मथुरा वृंदावन रेलवे लाइन के किनारे कथित तौर पर रेलवे की जमीन कब्जा करके लोगों घर बना लिए थे. रेलवे ने इस जमीन को खाली कराने को कहा था. याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांतो सेन पेश हुए. सुनवाई के दौरान उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस कार्रवाई में 200 घरों को गिराए जाने हैं. जिससे 3000 लोग प्रभावित होंगे. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उनके पास रहने के लिए कोई दूसरी जगह नहीं है. वो वहां 100 सालों से ज्यादा वक्त से रह रहे हैं. बता दें कि ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रहा है, लेकिन सोमवार को हड़ताल के चलते इस पर सुनवाई नहीं हो सकी, इसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए.