'फंदा सामने था, मगर...' खुदकुशी करने जा रही छात्रा ने बताई अपनी दर्दनाक कहानी...

कोटा की एक छात्रा जो करीब-करीब खुदकुशी करने ही वाली थी. उसके भाई के एक कॉल ने उसकी जान बचा ली. जानिए क्या है ये पूरा मामला...

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Sourabh Dubey
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kota-suicide( Photo Credit : social media)

उम्मीद.. सपने.. चाह! इन्हीं तीन शब्दों में कैद हो जाता है बच्चों का जीवन. खासतौर पर इस खबर में बात हो रही है कोटा के छात्रों की. दरअसल कोटा में क्या हो रहा है और क्या होता आया है, ये हम सभी देख-पढ़-समझ रहे हैं.  बावजूद इसके इसमें कोई सुधार नहीं नजर आ रहा है. परिवार के उम्मीद, अपने खुद के सपने और बेहतर करियर की चाह में कोटा के तमाम बच्चे इस कदर भाग दौड़ में है कि जीवन जीना ही भूल गए हैं. उन्हें जिंदगी से कई ज्यादा आसान मौत लगने लगी है. 

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कोटो में लगातार बढ़ते आत्महत्याओं की कोशिश के मामले इस तरफ साफ इशारा है कि, कोटा के बच्चों में निराश-हताश कई गुना ज्यादा बढ़ने लगी है. ऐसा ही एक और मामला हाल फिलहाल में सामने आया, जब नीट की तैयारी कर रही महज 17 साल की लड़की फंदे तक जा पहुंची, मगर उसके भाई के एक फोन ने उसकी जान बचा ली.

इस 17 साल की लड़की ने अभी-अभी 12वीं परीक्षा दी थी और एक महीने पहले नीट की तैयारी के लिए कोटा आ गई थी. मगर धीरे-धीरे उसका ये जूनून उसके लिए ही जानलेवा साबित होने लगा, दरअसल अभी कोटा में कुछ ही दिन बीते थे कि ये लड़की डिप्रेशन की गर्द में जाने लगी. उसे अकेले रहने में डर लगने लगा, बुरे-बुरे ख्याल आने लगे. हमेशा बस इसी ख्याल में रहती कि उसके घर वालों ने उसपर खूब पैसा खर्च कर दिया है. 

खुदकुशी के ख्याल...

एक वक्त बाद, वो इन ख्यालों से हार गई. उसका दिमाग में बस अब खुदकुशी के ख्यालों में था. उसने आखिरकार पंखे से फंदा लटका कर आत्महत्या करने का फैसला कर लिया, जिसके लिए वो इधर-उधर दुपट्टा तलाशने लगी, इससे पहले की उसे कुछ मिलता उसके फोन पर उसके भाई ने कॉल कर दिया.

उसने ये पूरा मंजर भाई को बताया, तो भाई भी भौखला गया. भाई ने पहले खुद अपनी बहन को समझाया और फिर घर पर ये बात बताई. घर वालों के तो मानों होश ही उड़ गए फौरन उन्होंने लड़की से बात की और उसे घर बुला लिया. फिलहाल वो अपने घर पर है और यहीं से नीट की तैयारी में जुटी हुई है. 

बच्चे हारे नहीं, बल्कि...

इस 17 साल की लड़की की कहानी खुद उसने एक मीडिया ग्रुप से साझा की है. साथ ही उसने अपने जैसे तमाम बच्चों के मां-बाप के नाम भी एक संदेश दिया है. इस लड़की का कहना है कि ये जरूरी नहीं कि उनके बच्चे परेशानियों से दूर भाग रहे हों, बल्कि संभव है कि वो कोटा का प्रेशर ही बर्दाश्त न कर पा रहे हों, लिहाजा बच्चों को खुद को फर्स्ट प्रायोरिटी देना सीखना होगा. साथ ही इस बात का ख्याल उनके मां-बाप को भी रखना होगा.

Source : News Nation Bureau

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