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पूर्वोत्तर राज्यों में स्कूल ड्रॉप-आउट दर को कम करेगा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय

पूर्वोत्तर राज्यों में स्कूल ड्रॉप-आउट दर को कम करेगा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय

Updated on: 22 Nov 2021, 12:00 AM

दिल्ली:

भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में स्कूल ड्रॉप-आउट दरों को कम करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय इन राज्यों के शिक्षा विभागों के साथ मिलकर विशेष पहल करेगा। इसका उद्देश्य यह है कि पूर्वोत्तर के राज्य शिक्षा के क्षेत्र में देश के बाकी राज्यों के मुकाबले पीछे न रह जाएं।

शिक्षा के क्षेत्र में की जा रही इस प्रकार की अनेक नई शुरुआतओं के मद्देनजर दो दिवसीय नॉर्थ ईस्ट एजुकेशन कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है। 20 और 21 नवंबर को इस कॉन्क्लेव में सभी उत्तर पूर्वी राज्यों के शिक्षा मंत्री शामिल हुए। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने इस आयोजन की अध्यक्षता की।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह सम्मेलन सीखने के परिदृश्य को मजबूत करता है और शिक्षा को और अधिक जीवंत बनाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में तेजी लाना, हमारे शिक्षकों और संस्थानों की क्षमता का निर्माण करना और भविष्य के लिए तैयार भारत बनाना एक सामूहिक जिम्मेदारी है।

इसमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान के साथ-साथ सभी उत्तर पूर्वी राज्य के शिक्षा मंत्री शामिल हुए। यह शिक्षा कॉन्क्लेव नई शिक्षा नीति के तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है।

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शिक्षा एवं विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह के साथ गुवाहाटी में पूर्वोत्तर राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान पूर्वोत्तर राज्यों के शिक्षा सलाहकार और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा, हम सुंदर पूर्वोत्तर की ओर बढ़ रहे हैं। प्रधान ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्कूल एवं उच्च शिक्षा के परिदृश्य पर प्रस्तुतियों का अवलोकन किया। इसमें नामांकन प्रवृत्तियों, जातीय छात्रों के लिए आउटरीच पहल, सुविधाओं तक पहुंच, केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं की पहुंच, शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए उठाए गए कदम आदि को दर्शाया गया था।

पूर्वोत्तर राज्यों के साथ यह विचार-विमर्श मुख्य तौर पर एनईपी 2020 को लागू करने की दिशा में आगे की राह और पूर्वोत्तर क्षेत्र को ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में अधिगम परिदृश्य को दमदार बनाने के लिए रणनीति आदि पर था।

इस दौरान प्रधान ने ड्रॉप-आउट दरों को कम करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के शिक्षा मंत्रियों को साथ मिलकर विशेष पहल करने पर जोर दिया। उन्होंने जैव विविधता संरक्षण, जैव-संसाधनों की स्थायी व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने जैसे क्षेत्रों में योजना बनाने वाले अनुसंधान संस्थानों पर भी जोर दिया।

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