नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में बिना अनुमति के आरोपपत्र दाखिल करने के मुद्दे पर केंद्रीय जांच एजेंसियों और पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष बिमान बनर्जी के बीच जारी खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है।
जांच एजेंसियों ने बुधवार को विधानसभा में पेश होने के लिए अध्यक्ष के समन का पालन करने से इनकार कर दिया, तब बनर्जी ने गुरुवार को न केवल उन्हें फिर से बुलाने का संकेत दिया, बल्कि अनुपालन करने में विफल रहने पर उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव भी पेश किया।
इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि राज्य विधानसभा का सचिवालय दो केंद्रीय जांच निकायों- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के जवाब से संतुष्ट नहीं है।
बनर्जी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, यह कहानी का अंत नहीं है।
अध्यक्ष के करीबी सूत्रों ने कहा, कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। हम सभी पहलुओं पर गौर कर रहे हैं।
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब बनर्जी ने 13 सितंबर को सीबीआई और ईडी को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्हें 21 सितंबर को उनके सामने पेश होने के लिए कहा गया, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि वे अध्यक्ष की अनुमति के बिना तीन विधायकों - फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मंडन मित्रा के खिलाफ आरोपपत्र कैसे दायर कर सकते हैं।
ईडी और सीबीआई दोनों ने स्पीकर के सामने पेश होने से इनकार कर दिया और एजेंसियों के सूत्रों ने कहा कि वे इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि वे अध्यक्ष के समन का सम्मान करने के बजाय कानूनी रास्ता अपनाना पसंद करेंगे।
बुधवार को ईडी के एक अधिकारी ने बनर्जी को एक पत्र सौंपा, जिसमें कहा गया कि एजेंसी ने सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
विधानसभा के सूत्रों ने कहा कि ईडी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे विधानसभा में कोई प्रतिनिधि नहीं भेजेंगे।
ईडी के सूत्रों ने यह भी कहा कि उसके पत्र में उल्लेख किया गया है कि एजेंसी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से अनुमति ली थी, और इसलिए अध्यक्ष की अनुमति आवश्यक नहीं थी। पत्र में यह भी कहा गया है कि इस मुद्दे पर ईडी के किसी प्रतिनिधि का अध्यक्ष के समक्ष पेश होना संभव नहीं है।
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Source : IANS