झारखंड के पाकुड जिले के हिरणपुर के बिझामारा गांव में तीन दिन पूर्व शनिवार की सुबह डायन बिसाही के आरोप में लोहे के रॉड से फूल सोरेन नाम की महिला को जख्मी कर दिया गया। गंभीर रूप से जख्मी महिला को इलाज के लिए जब ग्रामीण अस्पताल ले जा रहे थे, तो रास्ते में उनकी मौत हो गई।
इससे पहले गुमला जिले के कुरुमगढ़ थाना क्षेत्र में एक सप्ताह पूर्व सिविल गांव निवासी भिनसारी देवी (55) की हत्या कर दी गई। पुलिस के मुताबिक इस पर डायन होने का आरोप लगाया गया था।
राज्य के झारखंड में अंधविश्वास के कारण ऐसी कई घटनाएं हैं जिसमें लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अब सरकार इन घटनाओं को रोकने की पहल की है। सरकार अब डायन पीड़ित महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए गरिमा परियोजना की शुरूआत की है, जिसके तहत ऐसी महिलाओं को डायन रूपी पहचान से मुक्त करने का कार्य हो रहा है।
माना भी जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई प्रकार की कुप्रथाएं प्रचलित हैं, जो ग्रामीण विकास की राह में अवरोधक का कार्य करती हैं। ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) डायन कुप्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए गरिमा परियोजना के तहत पहल प्रारंभ की है।
ग्रामीण विकास विभाग के एक अधिकारी कहते हैं, गरिमा परियोजना प्रभावित क्षेत्रों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए डायन कुप्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म कर एक सभ्य समाज की स्थापना और प्रत्येक महिला को गरिमामय जीवन देने के लक्ष्य को लेकर कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि परियोजना का लक्ष्य बोकारो, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम और लातेहार के 25 चयनित प्रखंडों के 342 ग्राम पंचायतों के 2,068 गांव तक पहुंचना है।
उन्होंने कहा कि राज्य में अब तक 1000 से अधिक ऐसी महिलाओं की पहचान की जा चुकी है। उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं मनोवैज्ञानिक मदद के लिए कार्य किया जा रहा है, जिससे आनेवाले दिनों में ये महिलाएं बिना किसी झिझक के अपने जीवन में आगे बढ़ सके।
इस कड़ी में पीड़ित महिलाओं को आर्टथेरेपी के माध्यम से मनोवैज्ञानिक चिकित्सा दी जा रही है। दो दिन पहले सिमडेगा जिले में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें डायन कुप्रथा की पीड़ित महिलाओं को चित्रकारी के माध्यम से उनकी मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश की गई।
प्रशिक्षण के दौरान प्रशक्षिक द्वारा विभिन्न गतिविधियों द्वारा महिलाओं का आत्मविश्वास वापस लाने का प्रयत्न किया जाता है।
गरिमा परियोजना के तहत चयनित 25 प्रखंडों के विभिन्न इलाकों में पीड़ितों की पहचान की जा रही है एवं उन्हें सामुदायिक संगठनों से जोड़कर आजीविका समेत उनकी हकदारी के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है।
जेएसएलपीएस की सीईओ नैंसी सहाय कहती हैं कि गरिमा परियोजना के तहत डायन कुप्रथा से पीड़ित महिलाओं की पहचान कर उन्हे समाज में बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए लगातार प्रयास चल रहा है।
उन्होंने बताया, राज्य के 25 प्रखंडों को मार्च 2023 तक डायन कुप्रथा मुक्त बनाने का लक्ष्य लेकर लगातार जागरूकता एवं अन्य कार्य किए जा रहे है। इस पहल के जरिए पीड़ित महिलाओं की पहचान कर उनको आजीविका एवं सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है।
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Source : IANS