अब चुनावी बांड पर मचा है घमासान, जानें कांग्रेस क्‍यों इसके विरोध कर रही है आंदोलन

एक दिन पहले सोनिया गांधी ने कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें चुनावी बांड के विरोध में प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया. आज संसद भवन के बाहर कांग्रेस नेता चुनावी बांड का विरोध कर रहे हैं.

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Sunil Mishra
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अब चुनावी बांड पर मचा है घमासान, जानें कांग्रेस क्‍यों इसके विरोध कर रही है आंदोलन

अब चुनावी बांड पर मचा है घमासान, जानें कांग्रेस क्‍यों कर रही विरोध( Photo Credit : File Photo)

जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu and Kashmir) में अनुच्‍छेद 370 (Article 370) को हटाने के बाद वहां हालात सामान्‍य करने को लेकर कांग्रेस (Congress) ने संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) की शुरुआत में मुद्दा बनाया. गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के जवाब के बाद अब कांग्रेस ने चुनावी बांड (Electoral Bond) को मुद्दा बनाने का मन बनाया है. एक दिन पहले सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें चुनावी बांड के विरोध में प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया. आज संसद भवन (Parliament) के बाहर कांग्रेस नेता चुनावी बांड का विरोध कर रहे हैं. गुरुवार सुबह भी सोनिया गांधी ने वरिष्‍ठ नेताओं की बैठक की.

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केंद्र सरकार ने चुनावों में राजनीतिक दलों के चंदा जुटाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के बजट के दौरान चुनावी बांड (Electoral Bond) की घोषणा की थी. जिसके मुताबिक, यह भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शाखाओं से मिलेगा और इसकी न्यूनतम कीमत एक हजार लेकर अधिकतम एक करोड़ रुपये होगी. चुनावी बॉन्ड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, 10 लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध होंगे.

देश में चुनावों में सबसे अधिक कालाधन खर्च किए जाते हैं. 2017 के बजट से पहले बीस हजार रुपये से ऊपर का चंदा चेक से और उससे कम का बिना रसीद के लिए जाने का प्रावधान था. राजनीतिक पार्टियां इस प्रावधान का गलत इस्तेमाल करने लगी थीं. इससे देश में कालाधन पैदा होता था, जिसका इस्‍तेमाल चुनावों में होता था. कुछ राजनीतिक दलों ने तो यह दिखाया कि उन्हें 80-90 प्रतिशत चंदा 20 हजार रुपये से कम राशि के फुटकर दान के जरिये ही मिला था.

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चुनाव आयोग की सिफारिश पर 2017-18 के बजट सत्र में केंद्र सरकार ने गुमनाम नकद दान की सीमा को घटाकर 2000 रुपये कर दिया था. इसका मतलब यह हुआ कि 2000 रुपये से अधिक का चंदा लेने पर राजनीतिक दलों को बताना होगा कि उसे किस स्रोत से चंदा मिला है. साथ ही पार्टियों को ये भी बताना होगा कि चंद्रा उन्हें किस व्यक्ति या स्त्रोत ले मिला है.

चुनावी बॉन्ड से संबंधित ये हैं रोचक तथ्य

  • चुनावी बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपए के मूल्य में उपलब्ध होंगे.
  • दानकर्ता चुनाव आयोग में रजिस्टर किसी उस पार्टी को ये दान दे सकते हैं, जिस पार्टी ने पिछले चुनावों में कुल वोटों का कम से कम 1% वोट हासिल किया है.
  • भारत का कोई भी नागरिक या संस्था या कंपनी चुनावी चंदे के लिए बांड खरीद सकेंगे.
  • राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को भी बताना होगा कि उन्हें कितना धन चुनावी बांड से मिला है.
  • चुनावी बांड खरीदने वालों के नाम गुप्त रखा जाएगा.
  • इन बांड को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनिन्दा शाखाओं से ही खरीदा जा सकेगा.
  • दानकर्ता को अपनी सारी जानकारी (केवाईसी) बैंक को देनी होगी.
  • चुनावी बांड पर बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा.
  • बैंक के पास इस बात की जानकारी होगी कि चुनावी बांड किसने खरीदा है.
  • बांड को जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में खरीदा जा सकता है.
  • बांड खरीदे जाने के 15 दिन तक मान्य होंगे.
  • बॉन्ड खरीदने वाले को उसका जिक्र अपनी बैलेंस शीट में भी करना होगा.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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