स्वतंत्रता दिवस पर सभी तरफ झंडा फहराया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरकारी कार्यक्रमों में जिस झंडे का इस्तेमाल होता है वह कहां बनता है। यह जानना बड़ा ही रोचक है। कर्नाटक खादी ग्रामोद्वोग संयुक्त संघ (KKGSS) वह अकेली संस्था है जहां इस काम के झंडे बनाए जाते हैं।
कर्नाटक खादी ग्रामोद्वोग संयुक्त संघ (फेडरेशन)
KKGSS (फेडरेशन) के सेक्रेटरी शिवानंद ने बताया कि KKGSS खादी और विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन द्वारा सर्टिफाइड देश की अकेली ऑथराइज्ड नेशनल फ्लैग मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है। उनके अनुसार 2016-17 में 2.5 करोड़ रुपए के झंडे बेचे गए।
1. यह कर्नाटक के हुबली शहर के बेंगेरी इलाके में स्थित है और इसे हुबली यूनिट भी कहा जाता है।
2. KKGSS की स्थापना नवंबर 1957 में हुई थी और इसने 1982 से खादी बनाना शुरू किया।
3. 2005-06 में इसे ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) से सर्टिफिकेशन मिला और इसने राष्ट्रीय ध्वज बनाना शुरू किया।
4. देश में जहां कहीं भी आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय ध्वज इस्तेमाल होता है, यहीं के बने झंडे की होती है सप्लाई।
5. विदेशों में मौजूद इंडियन दूतावासों के लिए भी यहीं बनाए जाते हैं झंडे।
6. इसके अलावा ऑर्डर और कुरियर के जरिए कोई भी कर सकता है खरीद।
7. KKGSS की बागलकोट यूनिट में हाई क्वालिटी के कच्चे कॉटन से बनाया जाता है धागा।
8. गाडनकेरी, बेलॉरू, तुलसीगिरी में कपड़ा होता है तैयार, फिर हुबली यूनिट में होती है डाई और बाकी का प्रॉसेस।
9. जीन्स से भी ज्यादा मजबूत होता है कपड़ा।
10. केवल कॉटन और खादी के बनते हैं झंडे।
11. हाथ से मशीनों और चरखे के जरिए बनाया जाता है धागा।
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टेबल से लेकर राष्ट्रपति भवन तक के लिए नौ साइज के झंडे
1. सबसे छोटा 6:4 इंच- मीटिंग और कॉन्फ्रेंस आदि में टेबल पर रखा जाने वाला झंडा।
2. 9*6 इंच- वीवीआईपी कारों के लिए।
3. 18*12 इंच- राष्ट्रपति के वीवीआईपी एयरक्राफ्ट और ट्रेन के लिए।
4. 3*2 फुट- कमरों में क्रॉस बार पर दिखने वाले झंडे।
5. 5*5:3 फुट- बहुत छोटी पब्लिक बिल्डिंग्स पर लगने वाले झंडे।
6. 6*4 फुट- मृत सैनिकों के शवों और छोटी सरकारी बिल्डिंग्स के लिए।
7. 9*6 फुट- संसद भवन और मीडियम साइज सरकारी बिल्डिंग्स के लिए।
8. 12*8 फुट- गन कैरिएज, लाल किले, राष्ट्रपति भवन के लिए।
9. सबसे बड़ा 21*14 फुट- बहुत बड़ी बिल्डिंग्स के लिए।
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BIS करता है क्वालिटी चेक
1. हर सेक्शन पर कुल 18 बार होता है क्वालिटी चेक, 10 फीसदी हो जाते हैं रिजेक्ट।
2. KVIC और BIS द्वारा निर्धारित रंग के शेड से अलग नहीं होना चाहिए रंग।
3. केसरिया, सफेद और हरे कपड़े की लंबाई-चौड़ाई में नहीं होना चाहिए जरा सा भी अंतर।
4. अगले-पिछले भाग पर अशोक चक्र की छपाई होनी चाहिए समान।
5. फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 के प्रावधानों के मुताबिक, झंडे की मैन्यूफैक्चरिंग में रंग, साइज या धागे को लेकर किसी भी तरह का डिफेक्ट एक गंभीर अपराध है और ऐसा होने पर जुर्माना या जेल या दोनों हो सकते हैं।
Source : Vinay kumar Mishra