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शीला दीक्षित सरकार के टैंकर घोटाले में AAP की भूमिका पर्दाफाश करेंगे कपिल मिश्रा, जानिए क्या है पूरा मामला

आम आदमी पार्टी के कैबिनेट पद से हटाए जाने के बाद कपिल मिश्रा ने टैंकर घोटाले से जुड़े नामों का खुलासा करने का दावा किया है।

Updated on: 07 May 2017, 09:54 AM

highlights

  • आप सरकार ने शीला दीक्षित सरकार पर 400 करोड़ रुपये के घोटाले का आऱोप लगाया था
  • कपिल मिश्रा का आरोप-टैंकर घोटाले की रिपोर्ट देने के बाद भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के नेता कपिल मिश्रा ने रविवार को टैंकर घोटाले से जुड़े नामों का खुलासा करने का दावा किया है। बता दें कि शनिवार रात ही मिश्रा को कैबिनेट पद हटाया गया था। 

कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि जल बोर्ड की तरफ से टैंकर घोटाले की रिपोर्ट देने के बाद भी मुख्यमंत्री ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया। बता दें कि टैंकर घोटाला का मामला आम आदमी पार्टी के सत्ता मे आने के बाद आया है।  

टैंकर घोटाला मामला साल 2009 से लेकर 2015 के बीच का है। इस दौरान कांग्रेस की सरकार थी और शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं। आप सरकार ने शीला दीक्षित सरकार पर 400 करोड़ रुपये के घोटाले का आऱोप लगाया था।

आप का आरोप था कि शीला दीक्षित सरकार के दौरान किराये पर लिए गए 385 टैंकरों के ठेके में अनियमिता पाई गई थी। इस घोटाले की जांच के लिए जलमंत्री कपिल मिश्रा के नेत़त्व में पांच सदस्यों की समिति बनाई थी। जिनका काम था कि इस मामले से जुड़े फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली सरकार को सौंपे।

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योजना के मुताबिक स्टैनलेस स्टील के टैंकर मंगाए जाने थे, जो जीपीएस से लैस होने थे और इसके ज़रिए हर गली के लिए एक निश्चत अंतराल में टैंकर पहुंचाने की योजना थी। उस समय शीला दीक्षित सीएम के साथ ही दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष भी थीं।

आरोपों के मुताबिक मार्च 2010 से दिसंबर 2011 के दौरान जल बोर्ड ने किराए के टैंकर के लिए 5 बार टेंडर आमंत्रित किया। लेकिन चार बार प्रक्रिया को अंतिम दौर में रद्द कर दिया गया। आखिर में दिसंबर 2011 में तीन कंपनियों को 385 टैंकर सप्लाई करने का ठेका दिया गया।

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2012-13 में जल बोर्ड ने 3 कंपनियों को 385 टैंकर का ठेका दिया था। इस मामले में आरोप है कि जो काम 200 करोड़ में हो सकता था उसके लिए शीला सरकार ने 600 करोड़ रुपये का ठेका दिया था।

हालांकि इन पौने दो साल में ठेका तीन गुना बढ़ गया। 385 टैंकरों में तीन हजार लीटर क्षमता के 130 टैंकर और नौ हजार लीटर के 255 टैंकरों को सप्लाई करने का ठेका तीन कंपनियों को दस साल के लिए दे दिया गया।

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इस मामले की जांच की रिपोर्ट अगस्त 2015 में कपिल मिश्रा ने अरविंद केजरीवाल को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में गड़बड़ी के आरोप दो स्तरों पर लगाए गए- पहला योजना तैयार करने के लिए कसंल्टेंट की नियुक्ति में और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए टैंकर मुहैया कराने वाली कंपनियों को कॉन्ट्रेक्ट देने में।

लेकिन इस रिपोर्ट पर न तो कोई एक्शन उन कंपनियों पर लिया गया, जिन्हें गलत तरीके से टैंकर डिस्ट्रीब्यूशन का कॉन्ट्रेक्ट दिया गया था और न ही आरोपियों पर कोई एफआईआर दर्ज करायी गई थी। करीब दस महीने बाद 13 जून को विपक्ष के हंगामे के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार ने विधानसभा में टैंकर घोटाले की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया।

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इसी रिपोर्ट को प्रधानमंत्री और दिल्ली के उप राज्यपाल को जून 2016 में भेजा गया था, जिसमें सीबीआई या एससीबी के शीला दीक्षित की गिरफ्तारी की सिफारिश की गई थी। इसके बाद दिल्ली के तत्कालीन उप राज्यपाल नजीब जंग ने इस रिपोर्ट को जांच के लिए एससीबी के पास भेज दिया था। हालांकि इस रिपोर्ट के अगले दिन ही शीला दीक्षित ने इन आरोपों को आधारहीन बताया था।

इन कंपनियों पर लगे थे आरोप

वीएसके टेक्नोलॉजीज़
आरके मोबाइल प्राइवेट लिमिटेड
प्रोफेशनल आटोमोटिव
सिटी लाइफ लाइन ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड
रामकी एन्वायरो इंजीनियर्स लिमिटेड