Batla House Encounter Case: बाटला हाउस एनकाउंटर केस में आरिज खान को फांसी, जानें कब क्या-क्या हुआ?
बाटला हाउस मुठभेड़ के 13 साल बाद दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या और अन्य अपराधों के दोषी आरिज खान को मौत की सजा सुनाई.
highlights
- 8 मार्च को इस मामले में आरिज खान को दोषी ठहराया था
- 2013 में आतंकवादी शहजाद अहमद को इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी
- 2 जुलाई 2013- कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी की
नई दिल्ली:
बाटला हाउस मुठभेड़ (Batla House encounter case) के 13 साल बाद दिल्ली की एक कोर्ट ने सोमवार को इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या और अन्य अपराधों के दोषी आरिज खान को मौत की सजा सुनाई. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने मौत की सजा सुनाते हुए इसे 'दुर्लभतम मामला' बताया. अभियोजन पक्ष ने मामले में आरिज खान के लिए मृत्युदंड की मांग की थी, जबकि उसके वकील ने उसकी कम उम्र का हवाला देते हुए कोर्ट से उदारता दिखाने की पैरवी की थी. कोर्ट ने यह देखते हुए कि उसने एनकाउंटर स्पेशलिस्ट और इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या की थी, 8 मार्च को इस मामले में आरिज खान को दोषी ठहराया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने कहा था कि आरिज खान ने अपने साथियों के साथ मिलकर साजिशन इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की गोली मारकर हत्या की थी.
और पढ़ें: बाटला हाउस एनकाउंटरः शहीद इंस्पेक्टर एम सी शर्मा को 12 साल बाद गैलेंटरी अवॉर्ड
बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद आरिज कथित रूप से फरार चल रहा था. लगभग एक दशक बाद फरवरी, 2018 में उसे गिरफ्तार किया गया था. आरिज को धारा 186 (अधिकारियों के काम में बाधा पहुंचाना), 333 (किसी को कष्ट देने की गंभीर साजिश), 353 (लोक सेवक पर आपराधिक हमला), 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया है.
उसे भारतीय दंड संहिता की 277, 174 ए, 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 27 के तहत भी दोषी ठहराया गया है. 19 सितंबर, 2008 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के साथ जामिया नगर के बाटला हाउस में मुठभेड़ में इंडियन मुजाहिदीन के दो संदिग्ध आतंकवादियों और इंस्पेक्टर शर्मा की मौत हो गई थी.
आरिज कथित रूप से आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा है. पुलिस ने दावा किया कि वह चार अन्य लोगों के साथ बाटला हाउस में मौजूद था, और मुठभेड़ के दौरान पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहा.
बाटला हाउस के अपार्टमेंट में रहने वाले पांच लोगों में से मोहम्मद साजिद और आतिफ अमीन मुठभेड़ के दौरान मारे गए, जबकि जुनैद और शहजाद अहमद भाग गए और सालों बाद पकड़े गए. मोहम्मद सैफ ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. एक ट्रायल कोर्ट ने जुलाई, 2013 में इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी शहजाद अहमद को इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
क्या है बटला हाउस एनकाउंटर केस?
- 13 सितंबर 2008 - को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सीरियल बम धमाके हुए थे. इन बम धमाकों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे.
- मामले की जांच में दिल्ली पुलिस को पता चला कि विस्फोटों को अंजाम देने वाले आतंकी बटला हाउस के एक फ्लैट में छिपे हुए हैं.
- 19 सितंबर 2008 - को पुलिस ने बटला हाउस के फ्लैट को चारों ओर से घेर लिया, आतंकियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की गोली लगने से मौत हो गई थी.
- जवाबी कार्रवाई के दौरान इंडियन मुजाहिदीन के दो आतंकी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे… पुलिस के अनुसार एनकाउंटर के बाद शहजाद उस फ्लैट से बचकर भाग गया था पुलिस को शहजाद का पता एक आतंकी मोहम्मद सैफ के बयान से चला… पुलिस ने शहजाद को गिरफ्तार किया तो उसने मामले में एक अन्य आरोपी जुनैद { Ariz khan } का भी नाम लिया… मगर, उसे पकड़ा नहीं जा सका… उसे भगौड़ा अपराधी घोषित किया गया.
- घटना के बाद मुठभेड़ के तरीकों पर सवाल उठने लगे. पीपुल्स यूनियर फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स और अनहद नामक एनजीओ ने एनकाउंटर पर सवाल उटाते हुए इसे मानवाधिकारों का हनन करार दिया और इसकी जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
- 21 मई 2009- दिल्ली हाईकोर्ट ने मुठभेड़ पर उठ रहे सवालों और इंस्पेक्टर एम सी शर्मा की मौत पर जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को आदेश दिया. कोर्ट ने दो महीनों के भीतर आयोग से रिपोर्ट मांगी.
- 22 जुलाई 2009- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को इस केस में क्लीन चिट देते हुए कहा कि मुठभेड़ के दौरान किसी तरह ने मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है.
- 1 जनवरी 2010- उत्तर प्रदेश एटीएस ने बाटला हाउस में एनकाउंटर के वक्त मौजूद आईएम आतंकी शहजाद को आजमगढ़ से गिरफ्तार किया.
- 28 अप्रैल 2010- पुलिस ने इंस्पेक्टर एमसी शर्मा की हत्या और आतंकी साजिश रचने के आरोप में शहजाद, आरिज खान, आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद के खिलाफ चार्जशीट फाइल की.
- 15 फरवरी 2011- एडिशनल सेशन जज अजय कुमार की कोर्ट ने शहजाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307(हत्या की कोशिश), 333(लोक सेवक को चोट पहुंचाना), 353, 186 और 201 के अलावा आराम्स एक्ट के सेक्शन 27 के तहत आरोप तय किए.
- 13 जनवरी 2012- तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी नहीं था लिहाजा इसमें दोबारा जांच का सवाल नहीं उठता.
- 2 जुलाई 2013- कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी की.
- 30 जुलाई 2013- फैसले का दिन. . बटला हाउस एनकाउंटर में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के कातिल शहजाद अहमद को दिल्ली के साकेत कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई . सरकारी वकील ने शहजाद को फांसी देने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं है. साथ ही कोर्ट ने शहजाद पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
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