जानिए क्रूज ड्रग्स केस में आर्यन खान के वकील ने क्या कहा?
अमित देसाई ASG से कह रहे हैं कि आपने फैक्ट के नाम पर बहुत कुछ गलत कहा, उसे ही मैं सही कर रहा हूं.
नई दिल्ली:
क्रूज ड्रग्स पार्टी केस में शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान समेत आरोपियों की जमानत पर आज कोर्ट में सुनवाई थी. अदालत ने सुनवाई के बाद 20 अक्टूबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस दौरान दोनों पक्षों के एडवोकेट ने अपनी बात अदालत के समक्ष रखी. आर्यन खान के एडवोकेट अमित देसाई ने आर्यन के जमानत के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि ASG ने 24 अगस्त 2021 का एक जजमेंट नहीं पढ़ा, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की कम उम्र को देखते हुए कहा था कि इन्हें reformation का एक मौका मिलना चाहिए और अगर दोबारा भविष्य में ऐसा होता है, तब इसपर कार्रवाई की जानी चाहिए. यानी अदालत ने उम्र देखते हुए राहत दी थी.
उन्होंने कहा कि मीडिया का काम है awareness create करना, इस तरह के जजमेंट से बहुत awareness फैलता है. हाईकोर्ट के एक मामले में ASG ने कहा था कि CELEBRITY और INFLUENCERS पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. मुझे आता है कि वो बात करते हुए भी अनिल सिंह अपना खुद की बात नहीं, अपने क्लाइंट की बात रख रहे थे. इसपर हाई कोर्ट ने कहा था 'I don't agree, everyone is equal before the law. Each case has to be decided in its own merit despite the status of the accused.'
मेरे क्लाइंट को लेकर डिपार्टमेंट ने legal लाइन क्रॉस किया हो सकता है ताकि अदालत जमानत ना दे. मान भी लें कि consumption का confession हुआ है.. इसमें भी ज़्यादा से ज़्यादा 1 साल की सज़ा हो सकती है.. इस सब पर भी ट्रायल में हम लगातार चर्चा करेंगे.
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लेकिन यह सच है कि हमने retraction फ़ाइल किया, वो रिकॉर्ड पर है और हमने अदालत के रिकॉर्ड से भी इस retraction का कॉपी निकाला है. मैं केवल कानून के दायरे में रहकर ही सब बात कर रहा हूँ. Legislative में बदलाव किया जाना चाहिए.
2004 की एक कॉपी अदालत को दी गई जिसमें कहा गया है कि जहाँ ज़्यादा quantity में ड्रग्स मिलता है, वहां पर ज़्यादा सज़ा दी जानी चाहिए. NDPS में illicit trafficking के लिए भी कड़ी सजा का प्रावधान है.
लेकिन उसमें reformative approach की बात भी लिखा गया है उन लोगों के लिए जो addict हैं.. मैं यह नहीं कह रहा कि मेरा क्लाइंट addict है, मैं केवल वो दस्तावेज़ पढ़ रहा हूं.
मैं निजी तौर पर कुछ नहीं कह रहा, बल्कि सुप्रीम कोर्ट, legislature और सरकार की बात कर रहा हूं और उन्होंने ही माना है कि अगर quantity के आधार ओर सज़ा का प्रावधान तय होगा.
सुप्रीम कोर्ट के अलग अलग जजमेंट हैं इसपर. ASG ने अलग अलग जजमेंट पढ़े, इसलिए मेरा भी कर्तव्य है कि मैं भी कुछ जजमेंट पढूं.
2018 के एक जजमेंट को पढ़ा जा रहा है जिसमें कहा गया है कि बिना जांच पर किसी तरह की बाधा लाए जमानत दी जा सकती है. एजेंसी जांच जारी रख सकते हैं, लेकिन ज़मानत दी जा सकती है.
इस मामले में जो भी तार जोड़े जाने थे, वो जोड़े गए. इन्होंने ही कहा कि आर्यन ने आचित का नाम लिया. आचित के रिमांड में कहा गया कि आर्यन और अरबाज़ ने आचित का नाम लिया. अब यह मुझसे जुड़ा हुआ नहीं क्योंकि आचित को भी गिरफ्तार किया गया. आचित को small quantity के आयात गिरफ्तार किया गया.
अमित देसाई ASG से कह रहे हैं कि आपने फैक्ट के नाम पर बहुत कुछ गलत कहा, उसे ही मैं सही कर रहा हूं.
अमित देसाई ने कहा कि आर्यन की जो जांच की जानी चाहिए थी वो हो गई. यह commercial quantity की बात कर रहे हैं.. जिससे commercial quantity मिली, उसका नाम अब्दुल है.. उसका नाम ना ही आर्यन ने दिया,ना ही अरबाज़ ने दिया और ना ही आचित ने. तो फिर आखिर इनके साथ मेरा क्या लेना देना है. यह fact है जो रिमांड एप्लीकेशन में कहा गया है.
शोविक के जजमेंट की बात ASG ने की. उसी जजमेंट का ज़िक्र मैं कर रहा हूं.. उसमें अदालत ने यह भी अपने observation में शोविक के सभी दूसरे peddler से तार जोड़ने के बाद भी कहा कि शोविक ड्रग्स लेता नहीं था बल्कि वो पैडलर से लेकर सुशांत को देता था. इसलिए उसे एक अहम बात मानी गई थी और ड्रग्स सप्लाई का आरोप लगा था.
आज foreign national से भी जोड़ा गया और MEA से बात शुरू होने की बात कही गई. मुझे नहीं पता कि क्या ऐसे बातचीत हुई भी या नहीं, लेकिन मैं केवल यह कह सकता हूँ कि आज का इस generation जिस english का इस्तेमाल करता है, उसे हमारे उम्र वाले torcher मानेंगे.
इसलिए जिस बयान और जो शब्दों का इस्तेमाल वो करते हैं, उससे ऐसा शक आ सकता है कि इसमें क्या कोई बड़ी साजिश है. कई बार ऐसा नहीं होता है और यह generational gap के वजह से हमें लगता है.
यह लड़का किसी भी तरह illegal drug trafficking से नहीं जुड़ा है. आप MEA से बात कर ऊनी जांच शुरू रखिये और मैं अब भी कहता हूँ कि आपने जो आरोप लगाए हैं, वो absurd और false हैं.
अदालत को देखमा चाहिए को जो चैट है वो क्या है. क्या वो जोक है, क्या वो कुछ और है या वो लोग केवल बात कर किसी चीज़ पर हस रहे हैं. आज की दुनिया बहुत अलग है. यह जो चैट है वो निजी है. मैं मानता हूँ कि ऐसे चैट से पहले बहुत कुछ निकला है, लेकिन यह मामला वैसा नहीं है.
आजकल सिनेमा में लोग ड्रग्स की बात करते हैं, क्योंकि वो इसपर बात करते हैं, किताब लिखी जाती है, क्या इसका यह मतलाब है कि यह सब drug traficking से जुड़े हुए हैं. Context क्या है, यह देखना बहुत महत्त्वपूर्ण है.
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