NRC और नागरिकता संशोधन विधेयक के बीच क्या अंतर है, जानें एक क्लिक में

भारी हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया. बिल के पेश होते ही कांग्रेस ने सरकार पर इस बिल को लेकर कई आरोप लगाए.

भारी हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया. बिल के पेश होते ही कांग्रेस ने सरकार पर इस बिल को लेकर कई आरोप लगाए.

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Yogendra Mishra
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NRC और नागरिकता संशोधन विधेयक के बीच क्या अंतर है, जानें एक क्लिक में

NRC और नागरिकता संशोधन विधेयक के बीच क्या अंतर है?( Photo Credit : News State)

भारी हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया. बिल के पेश होते ही कांग्रेस ने सरकार पर इस बिल को लेकर कई आरोप लगाए. कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया. करीब एक घंटे तक इस बात पर तीखी नोकझोंक हुई कि इस बिल को सदन में पेश किया जा सकता है या नहीं. बाद में इस बिल के पेश करने के तरीके को लेकर वोटिंग भी कई जिसमें सरकार के पक्ष में 293 वोट पड़े. लोगों में एक आम धारणा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक और नेशनल नागरिक रजिस्टर (NRC) एक ही हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. आइए जानते हैं इन दोनों चीजों के बीच का अंतर.

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क्या है NRC

राष्ट्रीय नागरिक पंजी या रजिस्टर एक ऐसा रजिस्टर है जिसमें सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम हैं. वर्तमान में केवल असम के पास ही ऐसा रजिस्टर है. यानी NRC सिर्फ अभी असम में लागू है. हाल ही में यह भी घोषणा हुई है कि पूरे देश में NRC लागू होगा. असम में NRC मूल रूप से राज्य में रहने वाले भारतीय नागरिकों की एक सूची है. नागरिकों का रजिस्टर इस लिए बनाया गया था कि बांग्लादेश के सीमावर्ती राज्यों में विदेशी नागरिकों की पहचान के बारे में पता चल सके.

एनआरसी 1951 में तैयार किया गया था. 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया शुरु हुई. इसका उद्देश्य था 1971 के बाद बड़ी संख्या में बांग्लादेश से असम में आने वाले अवैध प्रवासियों की पहचान करना है. 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान लाखों की संख्या में बांग्लादेशी नागरिक सीमा पार करके असम आ गए थे.

NRC में कौन है

NRC में केवल उन्हीं लोगों को शामिल किया गया है जो 24 मार्च की मध्यरात्रि 1971 या उससे पहले असम के नागरिक थे. या इस अवधि के वक्त उनके पूर्वज असम में रहते थे. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने एनआरसी को अपडेट करने के लिए 1975 में 6 सालों तक आंदोलन चलाया. 1985 में असम प्रावधान में 24/25 मार्च 1971 के बाद भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करके उन्हें वापस उनके वतन भेजने का वादा किया गया.

NRC से कौन हुए बाहर

असम में NRC की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से शुरु हुई. जब NRC की प्रक्रिया शुरु हुई तो असम की जनसंख्या 3.3 करोड़ थी. अंतिम NRC की सूची 31 अगस्त 2019 को जारी की गई. जिनमें 19 लाख लोगों को जगह नहीं मिली. जबकि 3.11 करोड़ लोगों को भारतीय नागरिक के रूप में रजिस्टर किया गया.

नागरिकता संशोधन बिल 2019 क्या है

नागरिकता संशोधन बिल 2019 नागरिकता संशोधन विधेयक 1955 में संशोधन के लिए है. इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह समुदायों हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता देना है. इनमें वह सभी शामिल होंगे जो वैध दस्तावेज के बिना भारत आए हैं या जिनके दस्तावेज की समय सीमा समाप्त हो गई है. अगर कोई व्यक्ति इन तीन देशों में से आया है और उसके पास अपने माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र नहीं है तब भी छह साल के निवास के बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी.

नागरिकता संशोधन बिल और NRC में अंतर

हाल ही में असम में हुई NRC की प्रक्रिया का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की पहचान करके उन्हें नागरिकता के आधार पर वंचित करना था. इसके मुताबिक, किसी व्यक्ति को भारत का नागरिक होने के लिए ये साबित करना हो गा कि या तो वह या उसके माता-पिता 24 मार्च की मध्य रात्रि 1971 से पहले असम में थे. क्योंकि इस तारीख के अगले ही दिन बांग्लादेश में मुक्ति का संघर्ष शुरु हुआ था. जिसमें हजारों की संख्या में शरणार्थी भारत में आए थे. वहीं दूसरी ओर नागरिकता संशोधन बिल धर्म के आधार पर लोगों को नागरिकता देता है.

Source : Yogendra Mishra

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