तबलीगी जमात का नेटवर्क कैसे काम करता है ये जानकर आप हैरान हो जाएंगे

दिल्ली के निजामुद्दीन में धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन से 25 से अधिक लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने को लेकर हड़कंप मचा हुआ है. पूरे देश में इस समय तबलीगी जमात के बारे में ही चर्चा हो रही है. आइए जानते हैं तबलीगी जमात आखिर कैसे काम करता है.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

दिल्ली के निजामुद्दीन में धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन से 25 से अधिक लोगों में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने को लेकर हड़कंप मचा हुआ है. पूरे देश में इस समय तबलीगी जमात के बारे में ही चर्चा हो रही है. आइए जानते हैं तबलीगी जमात आखिर कैसे काम करता है. तबलीग़ जमात मजलिस शूरा के तहत काम करता है. मजलिस शूरा के कुल 5 सदस्यों में से मौलाना साद भी एक हैं. तबलीग़ जमात के भारत समेत पूरी दुनिया में मेम्बर हैं. इनके मेम्बर का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता ,जिन्हें इनका काम ठीक लगता है वो स्वतः ही इससे जुड़ते हैं.

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तबलीग़ जमात की अक्सर इस बात के लिए भी आलोचना होती है कि ये किसी सामाजिक या दुनियावी कामों में हिस्सा नहीं लेते. इसीलिए अक्सर इनके बारे में कहा जाता है कि ये ज़मीन की नहीं सोचते. ये या तो ज़मीन से 6 फ़ीट नीचे (क़ब्र) की सोचते हैं या ज़मीन से ऊपर आसमान (जन्नत-जहन्नम) की फिक्र करते हैं.

इनका एक ही मक़सद होता है कि, जो मुसलमान हैं वो पांच वक़्त की नमाज़ पढ़ें, रोज़ा रखें और बुराइयों से दूर रहे. जो लोग तबलीग़ जमात से जुड़ते हैं, वो महीने में 3 दिन अपनी बस्ती से दूर दूसरी बस्ती में जाकर दूसरे मुसलमानों से मिलते हैं. उन्हें दीन पर चलने की दावत देते हैं और मस्जिदों में रहकर इबादत करते हैं. इसके अलावा साल में 40 दिन का वक़्त लगाते हैं, जिन्हें ये चिल्ला कहते हैं.

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इसमें जुड़े लोग जब अपने घरों से निकलकर दूसरी जगह जाते हैं तो खुद का पैसा खर्च करते हैं. किसी से चंदा नहीं लेते. तबलीग़ जमात का हर राज्य में एक प्रमुख होता है. जिसे ये राज्य का अमीर ए जमात कहते हैं. इसी तरह ज़िला,और गांव स्तर का भी अमीर जमात होता है.

ये वक़्त वक़्त पर इज्तेमा करते रहते हैं. ये इज्तेमा ज़िला स्तर, राज्य स्तर, देश स्तर और अंतरराष्ट्रीय स्तर का होता है. संगठन इससे जुड़े लोगों तक इज्तिमा की खबर पहुंचाने के लिए किसी मीडिया, विज्ञापन का सहारा नहीं लेते. बल्कि मैन टू मैन कांटेक्ट करते हैं.

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भारत से हर साल कई जमात विदेश जाती है और विदेशों से भी कई जमात भारत आती रहती है. दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तबलीग़ जमात का हेडक्वार्टर है. विदेश से जो भी जमात आती है सबसे पहले वो यहीं आती है. इसके बाद यहां से उस जमात का रूट तय किया जाता है कि कहां, किस राज्य में किस किस जगह जाना है.

विदेश से आने वाले जमात के लोग क्योंकि हिंदी या दूसरी भारतीय भाषा नहीं बोल सकते इसलिए हेडक्वार्टर से ही इनके साथ ट्रांसलेटर की भी व्यवस्था की जाती है. इस संगठन के लोग देश के सभी राज्यों, सभी जिलों, सभी गाँवों में मौजूद हैं. इसलिए ये सबसे बड़ा संगठन है. अभी फरवरी महीने में नेपाल में तबलीग़ जमात का अंतरराष्ट्रीय स्तर का इज्तिमा हुआ था. जिसमें दुनिया भर से लोग जमा हुए थे.

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