अनुच्छेद 370 हटने के बाद कैसे हैं कश्मीर के हालात, जानें इस रिपोर्ट में
जम्मू एवं कश्मीर के श्रीनगर में सुरम्य डल झील के लिए यह एक निराशाजनक दिन है.
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से आर्टिकल-370 हटने के बाद कश्मीर के हालात सामान्य हैं. ईद-उल-अजहा से ठीक पहले जम्मू-कश्मीर सरकार लोगों को हर तरह की सहूलियत देने में जुटी हुई है. अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों के हटने के 5 दिन बाद भी घाटी में माहौल शांतिपूर्ण बना हुआ है, जम्मू-कश्मीर के सिविल प्रशासन ने बताया कि कश्मीर डिविजन के अंतर्गत आने वाले 3,697 राशन घाटों में से 3,557 इस वक्त काम कर रहे हैं.
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पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी किए जाने और जम्मू एवं कश्मीर राज्य से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद से यूनिस परेशान हैं. उन्होंने कहा, "दुख और शोक की भावना के साथ हम कर्फ्यू के बीच सुबह उठे. मैं अपने बच्चों को लेकर चिंतित हूं. जब वे बड़े हो जाएंगे, तब क्या करेंगे?". अनुच्छेद 370 को हटाने से पहले ही यहां अफरातफरी थी, क्योंकि सरकार ने पर्यटकों और यात्रियों को यथासंभव जल्द से जल्द राज्य छोड़ देने के लिए एक एडवाइजरी जारी कर दी थी.
अनुच्छेद को रद्द किए जाने से कई घंटे पहले सरकार ने राज्य के सभी संचार माध्यमों को बंद कर दिया था. लैंडलाइन, मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाएं सभी को एक साथ बंद कर दिया गया. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके अलावा किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस ने सैकड़ों राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पकड़ लिया.
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चार से ज्यादा लोगों के एक साथ जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. घाटी की सभी प्रमुख सड़कों को कटीले तारों से बंद कर दिया गया. सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि क्लैम्पडाउन के बावजूद कश्मीर ने इस निर्णय के बाद असाधारण शांति दिखाई है. जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद राज्य में किसी तरह की हिंसक घटना नहीं हुई है.
दिलबाग सिंह ने कहा, "कश्मीर पूरी तरह शांत है, किसी भी प्रकार की हिंसा की खबरें नहीं आई हैं. जैसी परिस्थितियां आएंगी, उसके हिसाब से संचार व्यवस्थाओं को चालू और बंद किया जाएगा." स्थानीय नागरिकों को असुविधा का सामना न करना पड़े, इसके लिए प्रशासन ने व्यापक कदम उठाए हैं. श्रीनगर में उपायुक्त कार्यालय में कुछ फोन लाइनें संचार के लिए सक्रिय कर दी गई हैं.
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श्रीनगर के उपायुक्त शाहिद इकबाल ने कहा, "उपायुक्त कार्यालय में हेल्पलाइन से दो दिनों में लगभग 1,200 फोन कॉल किए गए. कार्यालय के नंबर भी हेल्पलाइन नंबर में बदल दिए गए हैं." उन्होंने कहा, "दो महीनों के लिए पर्याप्त मात्रा में राशन जमा किया गया है. ईंधन भी भरपूर है. एलपीजी गैस सिलेंडर्स का 22 दिनों का स्टॉक है. एयरपोर्ट बसें लोगों को टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर तक ले जा रही हैं."
उन्होंने कहा, "जम्मू एवं कश्मीर के प्रत्येक अस्पताल को पांच लाख रुपये दिए गए हैं, ताकि आपातकालीन स्थिति में दवाइयां खरीदी जा सकें. दवाइयों की करीबन 60 दुकानों को यहां खोला गया है."
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