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नेताजी सुभाष चंद्र बोस (फाइल फोटो)
अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने से पहले ही देश में सरकार बन गई थी. यह सरकार 21 अक्टूबर 1943 को बनी थी जिसे आजाद हिंद सरकार कहा जाता है. इस सरकार के मुखिया थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस. सरकार बनने की घोषणा के तुरंत बाद यानी 23 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार दूसरे विश्व युद्ध के मैदान में कूद गई थी. आजाद हिंद सरकार के प्रधानमंत्री नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने ब्रिटेन और अमेरिका के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया था.
बताया जाता है कि उस वक्त 9 देशों ने सुभाष चंद्र बोस की सरकार को मान्यता दी थी. जापान ने 23 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार को मान्यता दी थी. उसके बाद जर्मनी, फिलीपींस, थाईलैंड, मंचूरिया, और क्रोएशिया ने भी सरकार को मान्यता दे दी थी.
आजाद हिंद सरकार ने जापान सरकार के साथ मिलकर म्यांमार के रास्ते पूर्वोत्तर भारत में प्रवेश करने की योजना बनाई थी. नेताजी ने बर्मा की राजधानी रंगून को अपना हेडक्वार्टर बनाया, तब वहां जापान का कब्जा था.
18 मार्च 1944 को सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने भारत की धरती पर अपना कदम रखा था. अब उस जगह को कोहिमा के नाम से जाना जाता है जो कि नागालैंड की राजधानी है.
Source : News Nation Bureau