Corona Crisis में Helicopter Money हो सकती है इकोनॉमी के लिए मददगार!, जानें कैसे
दरअसल सरकार उपभोक्ताओँ की मदद करने के लिए यह तरीका अपनाती है. इसके मुताबिक सरकार हेलीकॉप्टर मनी सीधे उपभोक्ताओं को उनके खातों में भेज देती है.
नई दिल्ली:
आपने कभी ये कल्पना की है कि आप सुबह सोकर उठें और आप अपने बैंक से आए मैसेज को देखें. जब आपको पता चलता है कि आपके खाते में अतिरक्त पैसे जमा हो गए हैं तब आपको कैसा फील होता है. शायद सपने जैसा हां ये एक कोरी कल्पना है लेकिन ये संभव भी हो सकता है, वो भी 'हेलीकॉप्टर मनी' के द्वारा. दरअसल सरकार उपभोक्ताओँ की मदद करने के लिए यह तरीका अपनाती है. इसके मुताबिक सरकार हेलीकॉप्टर मनी सीधे उपभोक्ताओं को उनके खातों में भेज देती है. आपको बता दें कि सरकार का इस हेलीकॉप्टर मनी के पीछे यह उद्देश्य होता है कि लोग अपना खर्च बढ़ाएं ताकि अर्थव्यवस्था में मजबूती आए. इसके बाद बाजारों में जैसे-जैसे ग्राहकों की डिमांड बढ़ेगी वैसे ही देश की इकोनॉमी भी मजबूत होती जाएगी.
जानें क्या होती है हेलीकॉप्टर मनी
सबसे पहले 'हेलीकॉप्टर मनी' का प्रयोग कब हुआ अगर जब हमने इस बात की खोज की तो पता चला कि साल 1969 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन ने किया था. 'हेलीकॉप्टर मनी' नाम से तो ऐसा ही लग रहा कि मानों हेलीकॉप्टर से पैसे बरसाए जा रहे हों. लेकिन जब इसकी हकीकत के बारे में आप जानेंगे तब कहेंगे कि हां इसे बिलकुल सही नाम दिया गया है. 'हेलीकॉप्टर मनी' का प्रयोग देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के संदर्भ में लिया जाता है. जब किसी देश में मंदी छाई हो और देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती ही जा रही हो तब इसका प्रयोग किया जाता है. सरकार ऐसी स्थिति में बड़े पैमानें पर नोटों की छपाई करती है और बाजार की लिक्वीडिटी को बनाए रखने के लिए जनता से खूब खरीददारी करने को कहती है ताकि देश की अर्थव्यवस्था सामान्य रूप से चल सके.
वर्तमान हालातों को देखते हुए फिर शुरू हुई चर्चा
कोरोना की वजह से एक बार फिर ये शब्द चर्चा में आया
दुनियाभर में कोरोना वायरस के संक्रमण से लॉक डाउन चल रहा है जिसकी वजह से कोरोना प्रभावित देशों में उनकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है. अब देश को इस स्थिति से निकालने के लिए एक बार फिर से 'हेलीकॉप्टर मनी' की चर्चा शुरू हो गयी है. आपको बता दें कि आर्थिक जगत में इस 'हेलीकॉप्टर मनी' टर्म का प्रयोग बहुत पहले से किया जा रहा है. 'हेलीकॉप्टर मनी' को लेकर पिछले कई वर्षों से अर्थशास्त्रियों द्वारा गंभीर बहस आयोजित की जाती रही हैं. कोरोना वायरस के संक्रमण के संकट की वजह से इसके प्रचलन में आने की संभावना जताई जा रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जब साल 2008 में दुनिया में आर्थिक मंदी आई थी तब केंद्रीय बैंकों ने ट्रिलियन डॉलर, यूरो, येन और पाउंड होने के बावजूद वैश्विक वित्तीय प्रणाली में कदम रखा था.
कई देश उठा सकते हैं ऐसा कदम
कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद दुनिया में ऐसे हालात पैदा हुए हैं कि अब माना जा रहा है कि अमेरिका, जापान सहित दुनिया के कुछ अन्य देश अपने देश की अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए 'हेलीकॉप्टर मनी' का प्रयोग कर सकते हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि आने वाले समय में लोग, व्यापार, मार्केट में गिरावट से खरीददारी बंद कर देते हैं तो इन सभी देशों की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हो सकता है. ऐसे हालात से बचने के लिए कई देश 'हेलीकॉप्टर मनी' का विकल्प लेकर तैयार बैठे हैं.
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