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जयघोष से गूंज उठा भारत! जब PM मोदी ने पढ़ा अशोक स्तंभ का शिलालेख... ये है इतिहास

मोदी के मुख से निकला ये शिलालेख, दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में मौजूद अशोक स्तंभ पर गढ़ा हुआ है, जिसे 2500 साल पहले सम्राट अशोक द्वारा स्थापित किया गया था. पाली और संस्कृत भाषा में मिश्रित ये शिलालेख, मानवता का कल्याण और सदैव सुख सुनिश्चित करना बताता ह

Updated on: 09 Sep 2023, 08:15 PM

नई दिल्ली:

“हेवम लोकसा हितमुखे ति, अथ इयम नातिसु हेवम” जब पीएम मोदी के मुख ये स्वर निकला, तो पूरा दिल्ली दरबार गूंज उठा... दरअसल इस वक्त दुनिया का केंद्र बना दिल्ली G-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, जर्मनी जैसे तमाम बड़े देश के मुखिया, भारत के मेहमान हैं. इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी द्वारा G-20 समिट के आगाज का अंदाज सुर्खियों में हैं. दरअसल मोदी ने इस शिखर सम्मेलन की शुरुआत उस पैगाम से की जो भारत की सरजमीं से ढाई हजार साल पहले दुनिया को दिया गया था...

दरअसल मोदी के मुख से निकला ये शिलालेख, दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में मौजूद अशोक स्तंभ पर गढ़ा हुआ है, जिसे 2500 साल पहले सम्राट अशोक द्वारा स्थापित किया गया था. पाली और संस्कृत भाषा में मिश्रित ये शिलालेख, मानवता का कल्याण और सदैव सुख सुनिश्चित करना बताता है. 

सही सिद्धांत और जीवन की संहिता का प्रचारक रहा ये स्तंभ, अशोक के शिलालेखों का एक हिस्सा है. जो आमजन में कल्याण, दया, सहनशीलता और चिंता की बात करता है. पीएम मोदी के स्वर में गूंजा उद्धरण भी इसी स्तंभ के छठे शिलालेख का भाग है, जिसे दिल्ली-टोपरा स्तंभ के तौर पर भी पहचाना जाता है. ऐसे में अब G-20 में गूंजे जयघोष के बाद लोग इसके इतिहास को जानना चाहते हैं... तो चलिए बताते हैं...

अद्भुत और अलौकिक इतिहास

43 फीट ऊंचाई और बलुआ पत्थर से निर्मित ये भव्य स्तंभ दरअसल दिल्ली में कभी था ही नहीं. इसे तो साल 1351 और 1388 के बीच हरियाणा के यमुनानगर जिले के टोपरा कलां से स्थानांतरित कर दिल्ली लाया गया. इसके साथ ही मेरठ के पास से एक और स्तंभ पीर-ग़ैब के पास खड़ा करवाया गया, जो आज बारा हिंदू राव अस्पताल के ठीक सामने मौजूद है.

असल में वो दौर मध्ययुगीन काल थ, जब फिरोजशाह तुगलक बतौर सुल्तान दिल्ली की गद्दी पर काबिज थे. अपने शासनकाल के दौरान वो इन अशोक स्तंभ से खूब मंत्रमुग्ध हुए, लिहाजा इन्हें दिल्ली लाने का फरमान जारी किया. इसके बाद से ही ये स्तंभ दिल्ली की आन-बान-शान बन गया. 

इन स्तंभों पर बुद्ध से प्रेरित होने के बाद सम्राट अशोक के संदेशों को उत्कीर्ण करवाया गया है, जिसमें अलग-अलग धर्मों के बीच टकराव, जानवरों की बलि, दास और नौकरों से क्रूर व्यवहार जैसी समाज की तमाम समस्याओं का निदान बताया गया है.

ऐसे में अब जब G-20 शिखर सम्मेलन PM मोदी के इस शिलालेख के जिक्र के बाद एक बार फिर इसकी कहानी जीवंत हो उठी है.