क्या किसानों का सैलाब लाएगा इंकलाब? जानें पूरा निष्कर्ष
मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज यानी जीआईसी मैदान में रविवार को आयोजित किसान महापंचायत में जुटी भीड़ ने जहन में लघु भारत की तस्वीर खींच दी. जितने लोग जीआईसी के मैदान में थे, करीब उतने ही बाहर सड़क पर आ जा रहे थे. इनमें जोश देखते ही बन रहा था.
नई दिल्ली:
मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज यानी जीआईसी मैदान में रविवार को आयोजित किसान महापंचायत में जुटी भीड़ ने जहन में लघु भारत की तस्वीर खींच दी. जितने लोग जीआईसी के मैदान में थे, करीब उतने ही बाहर सड़क पर आ जा रहे थे. इनमें जोश देखते ही बन रहा था. किसानों के जत्थे अपनी अलग वेशभूषा में भी थे. भीड़ में सिर पर टोपी हरी, किसी के हाथ में सफेद झंडा तो किसी के हाथ में लाल और हरा. संगठन भी एक नहीं, बल्कि अनेक. कोई यूपी से तो कोई हरियाणा और पंजाब से. यहां तक कि पश्चिम बंगाल से भी किसान पहुंचे थे. हर प्रदेश के किसान अपनी स्थानीय वेशभूषा में थे.
यह भी पढ़ें : इंडो-पोलिश फिल्म नो मीन्स नो में नजर आएंगे गुलशन ग्रोवर, शरद कपूर
पंचायत स्थल पर चारों ओर यही नजारा था, हर ओर अलग-अलग रंग के झंडों से पटा सैलाब नजर आ रहा था. सबकी जुबान पर कृषि कानूनों को वापस लेने का नारा बुलंद था. जब किसान महांचपायत शुरू हुई तो मंच से लेकर मैदान तक जाट मुस्लिम की एकता साफ दिखी. राकेश टिकैत ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि महेंद्र सिंह टिकैत साहब के जमाने से यहां एक साथ हर हर महादेव और अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगते थे, अब आगे भी लगते रहेंगे.
उन्होंने कहा कि ये प्रदेश भी हमारा है और ये जिला भी हमारा है. यहां वोट की चोट से बाहरी को हराना है. पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को बाहरी बताते हुए टिकैत ने मंच से हर हर महादेव और अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए. वाहे गुरु जी का खालसा...वाहे गुरु जी की फतेह भी कहा. उसके बाद महापंचायत में काफी देर तक हर-हर महादेव और अल्लाह-हू-अकबर के नारे गूंजते रहे.
जानकार ये मान रहे हैं कि इन नारों का सीधा असर वेस्ट यूपी की सियासत पर पड़ेगा, क्योंकि पश्चिम यूपी किसानों का गढ़ माना जाता है और पिछले चुनावों में इस तबके ने एकजुट होकर बीजेपी गठबंधन की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. दरअसल, कैराना पलायन और 2013 में मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद यहां जाट-मुस्लिम का सामाजिक ताना बाना टूट गया था. जाटों का झुकाव बीजेपी की तरफ हो गया था.
यह भी पढ़ें : बुमराह, रूट और अफरीदी आईसीसी प्लेयर ऑफ द मंथ के लिए नामित
2 फरवरी 2014 को मेरठ में आयोजित विजय शंखनाद रैली में नरेंद्र मोदी के भाषण के केंद्र में मुजफ्फरनगर हिंसा ही रही थी. चुनाव में इस इलाके में धुव्रीकरण का साफ असर दिखा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में खुद अजित सिंह और जयंत हार गए थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी को सिर्फ एक छपरौली सीट मिली थी, वो भी बाद में बीजेपी के पास चली गई. 2019 में तो आरएलडी का सूपड़ा ही साफ हो गया था. एसपी और कांग्रेस भी कमजोर हो गई थी.
पश्चिमी यूपी में मुस्लिमों-जाटों और किसानों की आबादी मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा और अलीगढ़ मंडल के 26 जिलों की 114 विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखती है. आंकड़े बताते हैं कि जब-जब पश्चिम यूपी में हिंदू और मुस्लिमों का गठजोड़ रहा है, तब-तब बीजेपी के लिए राह आसान नहीं रही है. फिलहाल यहां किसानों में लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है.
यह भी पढ़ें : लघु सचिवालय के घेराव पर बोले अनिल विज- सबको आंदोलन का अधिकार, लेकिन...
हरियाणा में इसी सप्ताह किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद मुजफ्फरनगर की किसान महापंचायत में लोगों में गुस्सा भी साफ तौर पर दिखा. 2022 में यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब लंबा समय नहीं है. यूपी के बाद उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में भी चुनाव होने हैं. ऐसे में महापंचायत का संदेश यूपी समेत देश के दूसरों राज्यों तक जाएगा.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Hanuman Jayanti 2024: दिल्ली के प्राचीन हनुमान मंदिर में आज लगी है जबरदस्त भीड़, जानें इसका इतिहास
-
Jyotish Upay: आधी रात में भूत-प्रेत के डर से बचने के लिए मंत्र और उपाय
-
Hanuman Jayanti 2024 Wishes: आज हनुमान जयंती की पूजा के ये हैं 3 शुभ मुहूर्त, इन शुभ संदेशों के साथ करें सबको विश
-
Maa Laxmi Upay: देवी लक्ष्मी की चैत्र पूर्णिमा की रात करें ये उपाय, पाएं धन-वैभव और समृद्धि