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किसान महापंचायत में फैसला- 27 सितंबर को किया जाएगा भारत बंद

जफ्फरनगर में किसान महापंचायत में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तत्वावधान में 15 राज्यों के 300 से अधिक किसान संगठनों ने भाग लिया, जो किसान एकता की ताकत का एक बड़ा प्रदर्शन साबित हुआ और इसमें विरोध जारी रखने के अपने संकल्प को दोहराया गया.

Updated on: 05 Sep 2021, 09:22 PM

नई दिल्ली :

मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तत्वावधान में 15 राज्यों के 300 से अधिक किसान संगठनों ने भाग लिया, जो किसान एकता की ताकत का एक बड़ा प्रदर्शन साबित हुआ और इसमें विरोध जारी रखने के अपने संकल्प को दोहराया गया. किसानों ने सर्वसम्मति से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के विरोध में 27 सितंबर को पूर्ण भारत बंद का आह्वान किया है. वक्ताओं ने कहा, "उन्होंने (केंद्र ने) कहा कि केवल कुछ मुट्ठी भर किसान विरोध कर रहे हैं. उन्हें देखने दें कि आज यह कितना मुट्ठी भर है. आइए हम अपनी आवाज उठाएं ताकि यह संसद में बैठे लोगों के कानों तक पहुंचे." किसान नेताओं ने कहा कि महापंचायत यह भी साबित करेगी कि आंदोलन को 'सभी जातियों, धर्मों, राज्यों, वर्गों, छोटे व्यापारियों और समाज के सभी वर्गों' का समर्थन प्राप्त है. एसकेएम ने एक बयान में कहा, "महापंचायत आज मोदी और योगी सरकारों को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की शक्ति का एहसास कराएगी. मुजफ्फरनगर महापंचायत पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी होगी."

किसान नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर सरकारें उनकी मांगों को नहीं मानती हैं तो वे 2022 में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ प्रचार करेंगे. उन्होंने 2024 तक अपना आंदोलन जारी रखने की धमकी भी दी, जब लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. उन्होंने आगे कहा कि अब आंदोलन को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे कि किसानों की अपनी सरकार हो - जो उनके हितों को पूरा करे. बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने संवाददाताओं से कहा, "यह किसानों की ताकत है और कब तक सरकारें हमें हमारे अधिकारों से वंचित करती रहेंगी। किसान अपने दम पर कई राज्यों से आए हैं और वे यहां किसी राजनीतिक दल के लिए नहीं हैं." टिकैत ने कहा कि भारत को अब बिक्री के लिए रखा जा रहा है और राष्ट्रीय संपत्ति निजी क्षेत्र को बेची जा रही है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों के समर्थन में अगली बैठक लखनऊ में होगी. राष्ट्रीय लोक दल की महापंचायत में एक उल्लेखनीय राजनीतिक उपस्थिति थी.

जिला प्रशासन ने आरएलडी को प्रतिभागियों पर पुष्पवर्षा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने ट्वीट किया कि प्रशासन ने सभा के ऊपर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की अनुमति नहीं दी.

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मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत पर यूपी एडीजी (कानून और व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि हमने सभी व्यवस्थाओं का आश्वासन दिया है. पीएससी की 25 कंपनियां और मेरठ जोन के तहत 20 अधिकारियों को तैनात किया गया है. हमने यातायात की सुचारू आवाजाही के लिए ट्रैफिक अलर्ट जारी किया. हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं.


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महापंचायत में लगे सीएम योगी और पीएम मोदी के खिलाफ नारा. 'फसल हमारी दाम तुम्हारा नहीं चलेगा,..' मंच से लगातार किया जा रहा तीनों कृषि कानून वापस लेने का आह्वान.

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गाजे-बाजे के साथ देश भर के किसान मुजफ्फनगर पहुंच रहे हैं. किसानों के मुद्दे और कृषि कानूनों के खिलाफत में हो रहा है यह महापंचायत 


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राकेश टिकैट मंच पर पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि देश भर में ऐसी महापंचायत होगी. 

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राकेश टिकैत मुजफ्फरनगर पहुंचे..स्वागत के लिए उमड़े लोग.

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बता दें कि टिकैत मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं. जब से आंदोलन शुरू हुआ वो यहां पर कदम नहीं रखे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक कानून वापस नहीं होता है तब तक घर वापसी नहीं होगी. वो वहां गलियारे से जाएंगे.

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मुजफ्फरनगर में पहुंचने से पहले मेरठ में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम देश भर में आंदोलन जारी रखने की रणनीति पर चर्चा करेंगे.


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मुजफ्फरनगर में किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी है. पूरा मैदान खचाखच भर गया है. लोग राकेश टिकैत का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि 10 महीने से राकेश टिकैत मुजफ्फनगर में नहीं दिखाई दिए हैं. 

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तीन कानून वापस करने की मांग

महापंचायत में पहुंची एक महिला किसान ने कहा कि हम तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर यहां एकत्रित हुए हैं. हम प्रधानमंत्री से तीन कानूनों को वापस लेने का अनुरोध करते हैं.


calenderIcon 09:02 (IST)
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सितंबर 2020 में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून लाया था. इन कानूनों के खिलाफ किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं.