गाजीपुर बॉर्डर से पलवल की तरफ होगा ट्रैक्टर मार्च
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन 41वें दिन में प्रवेश कर गया है. दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डटे हुए हैं.
नई दिल्ली:
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन 41वें दिन में प्रवेश कर गया है. दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डटे हुए हैं. किसान इन कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर अड़े हैं. किसानों की जिद की वजह से 7वें दौर की बातचीत में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. सरकार भी इन कानूनों को वापस नहीं करने पर अड़िग है. सोमवार को हुई सातवें राउंड की बैठक में यूं तो दो मुद्दों पर बात होनी थी, लेकिन चर्चा तीनों कृषि कानूनों के मुद्दे पर ही सिमटकर रह गई. हालांकि 8 जनवरी को फिर से सरकार और किसान के बीच वार्ता होगी.
पिछले तीन-चार दिनों से लगातार हो रही बारिश से आंदोलन पर बैठे किसानों की मुश्किल बढ़ा रही है, लेकिन इन मुश्किलों के बीच पंजाब से अपने परिवारों के साथ आई ये महिलाएं ये बच्चे इनके लिए ताकत और हौसले का काम कर रहे है. सड़क पर साझी रसोई लगी है. महिलाओं के साथ नन्हें हाथो से बच्चियां भी रात के खाने की तैयारी करा रहे है. इन महिलाओं का कहना है बारिश से परेशानी बहुत है मच्छर भी बहुत है, लेकिन क्या करें मजबूरी है इसलिए पंजाब से यहाँ आकर बैठे हैं.
योगेंद्र यादव की अध्यक्षता में आज दो बैठक हुई है, एक पंजाब के किसानों की और फिर संयुक्त किसान मोर्चा की. जिसमें कहा गया. हमारे पास आंदोलन को तेज़ करने का एकमात्र रास्ता है. 7 तारीख को सुबह 11 बजे चार तरफ से ट्रैक्टर मार्च होगा. वेस्टरन और इस्टर्न एक्सप्रेवे पर ट्रैक्टर मार्च होगा. साथ ही कहा गया कि 26 जनवरी से पहले देश इसका ट्रेलर देखेगा. कल से 14 दिनों के लिए पूरे देश में देश जागरण का अभियान चलेगा.
नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर किसानों ने कृषि बिल की शव यात्रा निकाली. किसानों का कहना है तो सरकार का रुख ऐसा नहीं लग रहा कि वह जल्दी इस मसले को हल करना चाहती है, उसे हम लोग हर रोज सरकार के विरोध में कुछ ना कुछ करते रहेंगे.
किसान आंदोलन पर केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि ये भारत का अन्नदाता किसान नहीं है, बल्कि इसमें कुछ राजनीतिक तत्व घुस गए हैं, जैसे सोनिया गांधी, राहुल गांधी. ये मोदी जी की लोकप्रियता से बौखलाए हुए हैं और उन्हें बदनाम करने का बहाना ढूंढ रहे हैं कि उनको किसान विरोधी करार दिया जाए.
किसानों के आंदोलन के बीच नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में कृषि मंत्रालय की बैठक हुई. कृषि मंत्री ने ट्वीट किया, 'कृषि मंत्रालय से देशभर के किसान जुड़े हुए हैं, जिन्हें योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ राजभाषा के उपयोग के माध्यम से अच्छे से पहुंचाया जा सकता है. हमें कृषि अनुसंधान को भी किसानों तक हिंदी में अधिकाधिक पहुंचाने पर जोर देना चाहिए.'
कृषि मंत्रालय से देशभर के किसान जुड़े हुए हैं, जिन्हें योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ राजभाषा के उपयोग के माध्यम से अच्छे से पहुंचाया जा सकता है।
हमें कृषि अनुसंधान को भी किसानों तक हिंदी में अधिकाधिक पहुंचाने पर जोर देना चाहिए।
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) January 5, 2021
सरकार के तीन कृषि कानून पर सोमवार के रवैये से किसान नाराज हैं. आज 2 बजे संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी. इस दौरान बुधवार को होने वाले किसानों के ट्रैक्टर मार्च और आगे की रणनीति पर चर्चा होगी.
दिल्ली में लगातार हो रही बारिश के कारण सिंघु बॉर्डर पर डटे किसानों का आंदोलन प्रभावित हुआ है.
Protesters at Singhu border (Delhi- Haryana) affected due to continuous rainfall#FarmLaws pic.twitter.com/lufaPTNNui
— ANI (@ANI) January 5, 2021
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के नेता सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा कि सरकार की नीयत में खोट है. 8 जनवरी को 8वें दौर की बात होगी. बातचीत में कुछ निकलता दिखाई नहीं दे रहा. सरकार एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. उनका कहना है कि कानून फायदेमंद हैं. PM खुद बैठक कर कानूनों को निरस्त करने की बात करें.
मैसानी ब्रिज अब हरियाणा NH-8 पर किसान प्रदर्शन की नई जगह बन चुकी है. यहां किसानों ने अपने तंबू गाड़ दिए हैं. आज मैसानी ब्रिज पर इकट्टा किसान दिल्ली की तरफ बढ़ेंगे.
किसान आंदोलन को देखते हुए बीजेपी ने किसान संवाद को तेज करने की रणनीति बनाई है. अब हर गांव में बीजेपी के कार्यकर्ता किसानों से मिलेंगे और कानून की जानकारी देंगे.
किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए आज कृषि मंत्रालय ने बैठक बुलाई है. किसानों के साथ अब तक हुई बैठकों को लेकर कृषि मंत्रालय मंथन करेगा.
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