सबरीमाला: कोच्चि एयरपोर्ट पर फंसी तृप्ति देसाई, जबरदस्त विरोध के बीच पुलिस ने बाहर निकलने की नहीं दी इजाज़त

केरल के सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के आदेश का कड़ा विरोध हो रहा है.

केरल के सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के आदेश का कड़ा विरोध हो रहा है.

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ruchika sharma
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सबरीमाला: कोच्चि एयरपोर्ट पर फंसी तृप्ति देसाई, जबरदस्त विरोध के बीच पुलिस ने बाहर निकलने की नहीं दी इजाज़त

भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक और कार्यकर्ता तृप्ति देसाई तृप्ति (फोटो- ANI)

केरल के सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के आदेश का कड़ा विरोध हो रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई और छह अन्य महिलाएं कोच्चि एयरपोर्ट पहुंच चुकी हैं. बाहर समर्थकों के कड़े विरोध के बीच तृप्ति देसाई को एयरपोर्ट से बाहर निकलने नहीं दिया जा रहा है. कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के बाहर कार्यकर्ताओं की भीड़ जमा हो गई. एयरपोर्ट पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम है. तृप्ति देसाई ने केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से सुरक्षा की मांग भी की. तृप्ति देसाई ने ऐलान किया था कि वे 17 नवंबर को सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन करेंगी.

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तृप्ति देसाई ने कहा, 'हम सुबह 4:30 बजे कोच्चि हवाईअड्डे पर पहुंचे. एयरपोर्ट के बाहर विरोध-प्रदर्शन जारी है. हमने दो-तीन बार टैक्सी बुक की . ड्राइवर को धमकी दी गई है कि अगर उन्होंने हमे बिठाया तो टैक्सी तोड़ दी जाएगी. पुलिस का कहना है कि हम अभी बाहर नहीं जा सकते. जब तक हमें दर्शन करने नहीं देंगे तब तक वापिस नहीं जाएंगे.'

आगे उन्होने कहा, 'पुलिस ने हमे अन्य गेट से निकालने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी वहां भी मौजूद थे. यहां विरोध-प्रदर्शन हो रहा है. क्या इसका मतलब है कि प्रदर्शनकारी हमसे डरते है?'

नीलक्कल, पंबा और सनिधनं में धारा 144 लागू कर दी गई है. एक गुस्साई महिला प्रदर्शनकारी ने मीडिया को बताया, 'हम उन्हें हवाईअड्डे से बाहर नहीं निकलने देंगे. वे मंदिर की परंपरा तोड़ने में क्यों अड़े हैं? हम भी अटल हैं. हम उन्हें बाहर नहीं जाने देंगे.' पुलिस की अपील के बावजूद देसाई ने कहा कि वह भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश किए बिना वापस नहीं लौटेंगी.

कोच्चि पहुंचने से पहले पुणे की भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक और कार्यकर्ता तृप्ति देसाई तृप्ति ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को हिंसा नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोच्चि पहुंचने से पहले हम राज्य द्वारा दी गई सुरक्षा को देखेंगे. राज्य अगर सुरक्षा नहीं प्रदान करता तब भी हम जाएंगे. उन्होंने आगे कहा, 'मुझे जान से मार देने और हमले की कई धमकियां मिल चुकी है.'

बीजेपी कार्यकर्ता एमएन गोपी ने कहा, 'तृप्ति देसाई को एयरपोर्ट के बाहर पुलिस या किसी सरकारी वाहन से बाहर नहीं जाने देंगे. एयरपोर्ट पर टैक्सी भी उन्हें लेकर नहीं जाएंगी. अगर वे जाना चाहती है तो अपने वाहन से जाएं. हवाईअड्डे से बाहर निकलने पर उन्हें विरोध का सामना करना होगा.'

मुंबई की हाजी अली दरगाह समेत कई तीर्थस्थलों के दरवाजे महिलाओं के लिए खोलने में तृप्ति देसाई ने प्रमुख भूमिका निभाई है. इस बीच, केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने सबरीमला मुद्दे पर ‘समग्र रवैया’ अपनाए जाने पर बल दिया ताकि लोगों की भावनाएं आहत नहीं हों.

 सबरीमाला में दो महीने चलने वाला महोत्सव सीजन शुक्रवार को शाम पांच बजे शुरू होने जा रहा है. यह महोत्सव 20 जनवरी तक चलेगा.

'अयप्पा धर्म सेना' के अध्यक्ष राहुल ईश्वर ने कहा कि अयप्पा के श्रद्धालु तृप्ति और उसके समूह के पवित्र मंदिर में प्रवेश और पूजा के किसी भी प्रयास का 'गांधीवादी तरीके' से विरोध करेंगे.

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सर्वदलीय बैठक में यूडीएफ औरबीजेपी का वॉक-आउट 

उल्लेखनीय है क़ि गुरूवार को मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं के प्रवेश के अपने आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. बैठक से कांग्रेस की अगुवाई में यूडीएफ और भारतीय जनता पार्टी ने वॉक-आउट कर दिया था. सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपने 28 सितंबर के उस आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया जिसमें अदालत ने कहा था कि अब तक प्रतिबंधित 10-50 साल की उम्र की महिला समेत सभी महिलाओं को मंदिर में दर्शन की अनुमति दी जाती है. केरल पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा गुरुवार की सुबह सबरीमाला पहुंचे और वहां उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया. शहर के भीतर और बाहर 5,000 पुलिस बल को तैनात किया गया है.

सबरीमाला पर समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को पूजा की इजाजत देने का आदेश वापस लेने की मांग वाली करीब 50 याचिकाओं की सुनवाई 22 जनवरी को करने का निर्णय लिया. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने 28 सितंबर के आदेश को वापस लेने की मांग करने वाली याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई करने का फैसला किया. पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने की.

Source : News Nation Bureau

Sabarimala Temple trupti dessai Section 144
      
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