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कनक दुर्गा
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाओं को आक्रोश और विरोध का सामना करना पड़ रहा है. मंदिर में दर्शन करने वाली दो महिलाओं के प्रवेश के बाद केरल में जमकर विरोध-प्रदर्शन हुआ. कनक दुर्गा और बिंदु अम्मीनी नाम की दो महिलाओं ने सबरीमाला में दर्शन किये थे. इसके बाद कनक दुर्गा को समाज के साथ घरवालों के विरोध का सामना करना पड़ा. मंदिर में दर्शन करने वाली कनक दुर्गा की पहले सांस ने पिटाई की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुर्गा के घरवालों ने उन्हें घर से निकाल दिया है, उन्हें शेल्टर होम में भेज दिया गया है. मंदिर में प्रवेश के बाद हुए विरोध के बाद कनक दुर्गा अपनी सुरक्षा कारणों की वजह से छिपी रहीं. उन्होंने एक बयान में कहा था कि जब वह अपने घर लौटीं तो उनकी सांस ने उनकी बुरी तरह से पिटाई की थी. सिर में चोट लगने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था.
जनवरी की शुरुआत में पारंपरिक काले परिधान पहने और सिर ढक कर कनक दुर्गा (44) और बिंदू (42) तड़के तीन बजकर 38 मिनट पर मंदिर पहुंची थी. पुलिस ने विरोध प्रदर्शनों की आशंका के कारण दोनों महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराई. दोनों महिलाओं ने करीब आधी रात में मंदिर की ओर चढ़ाई शुरू की थी. भगवान अय्यपा के दर्शन करने के बाद वे दोनों लौट गईं. सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के बाद केरल में जमकर विरोध-प्रदर्शन हुआ और 200 से ज्याद प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बाद मुख्य पुजारी ने 'शुद्धिकरण' समारोह के लिए मंदिर के गर्भ गृह को बंद करने का फैसला किया, जिसके बाद देवास्वोम बोर्ड ने महिलाओं के प्रवेश के बाद शुद्धिकरण पर मुख्य पुजारी से जवाब मांगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा के दिए आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को केरल सरकार को सबरीमाला के भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया था. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कनक दुर्गा और बिंदु अम्मीनी को सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिए. न्यायालय ने इसके अलावा उनकी याचिका को समीक्षा याचिकाओं के साथ जोड़ने से इनकार कर दिया, जिन पर 22 जनवरी को सुनवाई थी.
पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी को याचिकाओं पर सुनवाई नहीं की. जस्टिस इंदु मल्होत्रा के छुट्टी पर होने की वजह से पुनर्विचार याचिकाओं पर 30 जनवरी तक सुनवाई टाल दी है. इस मसले पर फैसला सुनाने वालीं संविधान पीठ की एकमात्र महिला जस्टिस इंदु मल्होत्रा मेडिकल लीव पर हैं.
बता दें कि सबरीमाला में दो महिलाओं के प्रवेश के बाद विभिन्न हिंदू संगठनों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया था. इस दौरान कई हिंसक घटनाएं भी सामने आई थी. पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी. इस फैसले के बाद कई महिलाओं ने प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन भारी विरोध-प्रदर्शन के कारण उन्हें वापिस लौटना पड़ा था. इससे पहले उन्होंने 24 दिसंबर को भी मंदिर में प्रवेश की कोशिश की थी लेकिन विरोध के कारण उन्हें लौटना पड़ा था. मंदिर 30 दिसंबर को मकरविल्लकु उत्सव के लिए खोला गया था. 9 दिसंबर को केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विरोध कर रहे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया था.
Source : News Nation Bureau
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