केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन किसी भी कीमत पर अपने पसंदीदा केरल रेल प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए अड़े हुए हैं और वह इसके लिए आमंत्रित लोगों के साथ बातचीत करने के लिए भी तैयार हैं।
गुरूवार को राजधानी दिल्ली में केरल के वित्त मंत्री के एन बालागोपाल ने भी श्री विजयन की बात का समर्थन किया था। यह बात अलग है कि राज्य के लिए इस दिशा में आर्थिक संसाधन जुटाना काफी भारी पड़ रहा है और राज्य का खजाना इस समय पूरी तरह खाली पड़ा हुआ है। राज्य सरकार इसके लिए राशि उधार लेकर इस परियोजना को पूरा कराने की भी कोशिश कर रही है।
श्री बालागोपाल ने कहा हम केरल रेल परियोजना की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और लोगों को यह बताएंगे कि यह प्रोजेक्ट राज्य के लोगों के लिए क्यों जरूरी हैं तथा उनकी हर तरह की आशंकाओं को दूर किया जाएगा।
अगर यह परियोजना पूरी हो जाती है तो इससे तिरूवनंपुरम से कैसरगोड़ के बीच 529.45 किलोमीटर लंबा रेल कोरिडोर बनाया जाएगा और हाई स्पीड ट्रेन के जरिए यह दूरी मात्र चार घंटे में पूरी की जा सकेगी। श्री विजयन का दावा है कि इस पर 64,000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा लेकिन नीति आयोग के शुरूआती आकलन के मुताबिक इस पर एक लाख करोड़ से अधिक खर्चा आएगा।
मेट्रोमैन ई- श्रीधरन ने इसे मूखर्तापूर्ण परियोजना करार दिया है और भारतीय जनता पार्टी ने भी इसकी जोरदार निंदा की है जबकि कांग्रेस नीत यूडीएफ मोर्चा का कहना है कि यह माकपा के लिए कमीशन के खेल से ज्यादा कुछ नहीं है। इसके लिए दोहरे मानदंड़ को उजागर करने वाले माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के ट्वीट को भी जारी किया गया है जिसमें उन्होंने मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की जोरदार निंदा की थी लेकिन इस परियोजना को हरी झंड़ी दे दी है।
इस मामले में विवाद को शांत करने की दिशा में श्री विजयन कोच्चि और तिरूवनंपुरम में विशेष रूप से आमंत्रित लोगों की एक बैठक बुलाएंगे जहां इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा 12 जिलों में राज्य के मंत्री लोगों को इसके बारे में जानकारी देंगे।
एक पत्रकार ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि यह बैठक कुछ भी नहीं है बल्कि एक दिखावा है।
उन्होंने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा केवल उन्हीं लोगों को निमंत्रण भेजा जाएगा जिनके राजनीतिक झुकाव के बारे में जानकारी है और यहां कम ही सवाल पूछे जाएंगे और अगर सवाल पूछे भी जाते हैं तो यह सब सरकार की तरफ से प्रायोजित होगा। समय की मांग है कि इसे आमंत्रित लोगों के सामने पेश करना नहीं है, बल्कि विधानसभा में पेश किया जाना है क्योंकि इसका सत्र अगले महीने से शुरू होने जा रहा है।
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Source : IANS