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Assembly Election 2021: मिशन साउथ पर राहुल गांधी, दक्षिणी राज्यों के लिए ऐसे बदली प्रचार रणनीति

Assembly Election 2021: केरल और तमिलनाडु में 6 अप्रैल को मतदान होना है. कांग्रेस का पूरा जोर यहां के स्थानीय लोगों से जुड़ने और इसके लिए अलग-अलग सत्र का आयोजन करे से हैं.

Updated on: 24 Mar 2021, 08:18 AM

highlights

  • तीन साल में दक्षिण के तीन राज्यों में कांग्रेस ने गंवाई सत्ता
  • तमिलनाडु और केरल में कांग्रेस ने लगाया जोर
  • छात्रों और समूहों से राहुल गांधी कर रहे प्रचार

नई दिल्ली:

दक्षिणी राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने प्रचार तेज कर दिया है. दक्षिण भारत के राज्यों के लिए प्रचार का बड़ा हिस्सा स्थानीय स्तर पर लोगों के साथ मुलाकात और समूहों या लोगों के साथ अपने अनुभव साझा करने पर आधारित हो गया है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को कोच्चि में स्कूली बच्चों से मुलाकात की. यग कांग्रेस के प्रचार अभियान का हिस्सा था. राहुल गांधी के प्रचार में जापानी मार्शल आर्ट सीखने की तस्वीरें स्कूल में बांटी गई है. दो दक्षिणी राज्यों केरल और तमिलनाडु में, दोनों 6 अप्रैल को मतदान होगा. ऐसे में कांग्रेस का पूरा जोर है कि वह यहां स्थानीय लोगों से सीधे जुड़ने पर हैं. 

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अंग्रेजी अखबार द हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार पार्टी दोनों राज्यों में पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकार ने नाम ना प्रकाशित किये जाने की शर्त पर बताया कि लोगों से राहुल गांधी से मिलने के लिए कहने के बजाये राहुल खुद लोगों के पास जा रहे हैं. दरअसल पिछले तीन साल में कांग्रेस तीन राज्यों में पार्टी की सत्ता गंवा चुकी है. इसलिए तमिलनाडु, केरल, असम, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी के चुनाव कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं. साल 2014 और साल 2019 के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.

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राहुल गांधी का जोर समूहों पर 
इस बार कांग्रेस ने दक्षिण भारत के लिए अलग रणनीति पर काम शुरू किया है. राहुल गांधी अपने प्रचार में 90 फीसद समय इन समूहों को दे रहे हैं. राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद भी  हैं. रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के एक और रणनीतिकार ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि 'राहुल का 90% अभियान छोटे, सड़क के किनारे, स्थानीय समूहों और छात्रों के साथ और रोड शो के तौर पर है. बड़ी सार्वजनिक रैलियां सीमित होंगी. हम ऐसे मूमेंट्स और तस्वीरों के जरिए लोगों का ध्यान खींचना चाह रहे हैं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो सकें. उनका भाषण अनुवाद में अपनी मौलिकता खो सकता है, लेकिन तस्वीरें लंबे समय तक बनी रहेंगी.'