New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2020/06/10/kashmiripandit-41.jpg)
kashmiri pandit( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
kashmiri pandit( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))
कश्मीर के अनंतनाग में हुई कश्मीरी पंडित सरपंच की निर्मम हत्या के बाद हड़कम्प मंच गया है. हत्या के दूसरे दिन ही करीब एक दर्जन पंच और सरपंच कश्मीर की अलग अलग जगहों से से भाग कर जम्मू पहुंच गए है. सरकार द्वारा करवाए गए पंचायत चुनाव के बाद घाटी में चुन कर आए इन पंचों और सरपंचों को अपनी जान जाने का डर सता रहा है.
ये भी पढ़ें: तीस साल से विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने घाटी में एक स्थान पर बसाने की मांग की
दरसल कश्मीर में मारे गए सरपंच अजय भर्ती की तरह ये सरपंच भी चुनाव जीत कर अपनी अपनी पंचायतों में रहना शुरू हो गए थे. इस दौरान इन सरपंचो को आतंकवादियों द्वारा कई तरह की धमकियां भी दी जा रही थी. मारे गए सरपंच अजय भारती के अलवा से सभी लोग भी कई बार प्रशासन और पोलिस से सुरक्षा की गुहार लगा चुके थे. लेकिन बावजूद इसके इन्हें सुरक्षा देने में आना कानी की जा रही थी. जिसका आख़िर कर आतंकियों ने फ़ायदा उठाते हुए सरपंच की हत्या कर दी.
सरपंचों के मुताबिक़ इनके चुनावों में फ़ोरम भरने से पहले ही सरकार ने इन्हें सुरक्षा उपलब्ध करवाने का भरोसा दिया था. जम्मू-कश्मीर पंचायत कॉन्फ़्रेन्स के अध्यक्ष अनिल शर्मा के मुताबिक़ वो एक पूरी रेप्रेज़ेंटेशन इस बाबत पोलिस विभाग को दे साल पहले ही दे चुके है. इतना ही नहीं ग्रह मंत्री के साथ हुई मुलाक़ात के दौरान भी उन्होंने सुरक्षा और इंश्योरेंस का मुद्दा उड़ाया था लेकिन अब तक सरकार की तरफ़ से उस पर विचार नही किया गया. अनिल शर्मा के मुताबिक़ सरपंच की हत्या के बात उन्हें कश्मीर से सैकड़ों फोन आ चुके है और सारे सरपंच मास सामूहिक इस्तीफे की बात कह रहे हैं. अनिल शर्मा के मुताबिक़ अगर ऐसा होता है तो इससे पाकिस्तान में बैठे आतंकी संघठनो का मनोबल बड़ेगा ऐसे में सरकार को जल्द से जकड़ इन देश भगत लोगों की सुरक्षा को लेकर फैसला लेना होगा.
यह भी पढ़ेंः कोविड-19 संक्रमितों के उपचार में लापरवाही पर केजरीवाल सरकार को नोटिस, शाह से मिले दिल्ली सीएम
वही अगर घाटी की बात करें तो 2011 से अब तक आतंकवादी 19 सरपंचों को मौत के घाट उतर चुके हैं. सुरक्षा बलों ने भी हत्या करने वाले ज़्यादातर आतंकियों को मार गिराया है लेकिन फ़िलहाल सबसे बड़ी ज़रूरत सरकार के लिए पांचों सरपंचों के दिमाग़ से दहशत निकलने की है जो इस हत्या के बाद सहम गए है.
Source : News Nation Bureau