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कश्मीरी हिंदू अगला हिंदू नववर्ष कश्मीर में ही मनाएंगेः दत्तात्रेय होसबाले

अनुच्छेद 370 हटने के बाद से उत्साहित कश्मीरी हिंदुओं की ओर से इस बार उत्साह के साथ हिंदू नववर्ष को नवरेह को मनाया गया.

Updated on: 15 Apr 2021, 06:32 PM

highlights

  • कश्मीरी हिंदुओं ने हिंदू नववर्ष नवरेह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया
  • आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने उनका मनोबल बढ़ाया
  • अगला नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प सार्थक होगा

जम्मू/नई दिल्ली:

घाटी से विस्थापन के तीन दशक बाद पहली बार कश्मीरी हिंदुओं ने हिंदू नववर्ष नवरेह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने उनका मनोबल बढ़ाया है. उन्होंने कहा है कि कश्मीरी हिंदुओं की ओर से अगला नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प सार्थक होगा, ऐसा उन्हें विश्वास है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद से उत्साहित कश्मीरी हिंदुओं की ओर से इस बार उत्साह के साथ हिंदू नववर्ष को नवरेह को मनाया गया. संजीवनी शारदा केंद्र, जम्मू-कश्मीर की ओर से आयोजित तीन दिवसीय नवरेह महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित करते हुए आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कश्मीरी हिंदुओं के त्याग और बलिदान की चर्चा की. उन्होंने 1989-90 में हुए कश्मीरी हिंदुओं के सातवें विस्थापन को अंतिम विस्थापन कहते हुए संदेश दिया कि अब आगे ऐसी स्थिति नहीं आने वाली है.

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, कश्मीरी हिंदुओं को कई बार विस्थापित होना पड़ा, 1989-90 में कश्मीरी हिंदुओं का सातवां विस्थापन था और यह अंतिम विस्थापन साबित होगा. उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं द्वारा अगला नवरेह कश्मीर में मनाने का संकल्प सार्थक होगा, ऐसा उन्हें पूर्ण विश्वास है. उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं ने पिछले कई दशकों से त्याग, बलिदान किया. उन्होंने संकट सहते हुए जिस तरह से धर्म की रक्षा की, वह इतिहास में एक उदाहरण है. दत्तात्रेय ने इस दौरान बलिदान देने वाले कई हस्तियों को भी याद किया. उन्होंने कहा कि टीका लाल टपलू जी, जस्टिस नीलकंठ गंजू, सरला भट्ट व प्रेम नाथ भट्ट आदि कश्मीर में कितने ही लोग मजहबी उन्माद का शिकार हो गए, उनका केवल यह अपराध था कि वो हिंदू जन्मे और कश्मीर में रहे.

जम्मू-कश्मीर से लेकर देश और विदेश में बसे कश्मीरी हिंदुओं को नवरेह की शुभकामनाएं देते हुए सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबाले ने कहा कि संकल्प में शक्ति होती है और जब संकल्प राष्ट्र धर्म और समाज के लिए हो तो उसमे शक्ति सौ गुणा बढ़ जाती है. उन्होंने कहा, विदेशी आक्रांताओं से हमारे पूर्वज सदियों तक संघर्ष करते रहे लेकिन कभी हार नहीं मानी. जैसे शिर्य भट्ट ने त्याग और समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत किया था और वैसे ही ललितादित्य ने शौर्य की मिसाल पेश की थी, इन हस्तियों के जीवन से शिक्षा लेकर इसका अनुसरण भी आवश्यक है. दत्तात्रय होसबाले ने ललितादित्य के शौर्य का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे बप्पा रावल के सहयोग से उन्होंने अरबी आक्रमणकारियों को परास्त किया था. कहा कि कश्मीरी हिंदुओं की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर ने भी अपना बलिदान दिया था.

दत्तात्रेय होसबाले ने कश्मीरी हिंदुओं का मनोबल बढ़ाते हुए यहूदियों और तिब्बितयों का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि यहूदी अपनी मातृभूमि से खदेड़े जाने पर विश्व के कई देशों में बिखरे थे, लेकिन हर पीढ़ी ने यह संकल्प लिया कि वह अगला इस्टर इजरायल में मनाएंगे और ऐसा संघर्ष करते हुए आखिरकर सफल हुए. तिब्बती लोगों को भी चीन के आक्रमण के कारण तिब्बत छोड़ना पड़ा. तिब्बती आज भी यह संकल्प करते हैं कि वह एक दिन वापस जाएंगे. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना, अर्ध सैनिक बल और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों ने भी जिहादी उन्माद रोकने के लिए बलिदान दिए, उनका भी हमें स्मरण करना चाहिए.

जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक हालात और विकास पर चर्चा करते हुए दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35-ए का जाना केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के लिए एक मील का पत्थर है. जम्मू-कश्मीर के विकास और उत्थान के लिए अनेकों वर्षों से लंबित काम वर्तमान सरकार कर रही है, जो सराहनीय है. इससे पूर्व कार्यक्रम के शुभारंभ में संजीवनी शारदा केंद्र के उपाध्यक्ष अवतार कृष्ण ने नवरेह महोत्सव 2021 में योगदान देने वाले 150 से अधिक समाजिक और धार्मिक संगठनों का धन्यवाद किया.