logo-image

'कुरान में हिजाब के उल्लेख से यह मतलब नहीं है कि अनिवार्य है' 

कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को तीखी बहस हुई है. कर्नाटक सरकार की ओर से एसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कई उदाहरणों से साबित करने की कोशिश की है कि हिजाब कोई आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है.

Updated on: 20 Sep 2022, 06:10 PM

नई दिल्ली:

कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को तीखी बहस हुई है. कर्नाटक सरकार की ओर से एसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कई उदाहरणों से साबित करने की कोशिश की है कि हिजाब कोई आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है. 2021 तक हिजाब मुद्दा नहीं था, न छात्राएं हिजाब पहनती थीं, न ही यह सवाल कभी उठा. अभी तक स्कूलों में यूनिफॉर्म कोड का एक समान अनुशासन के साथ निष्ठापूर्वक पालन किया जा रहा था, लेकिन सरकार के सर्कुलर की आड़ में सोशल मीडिया पर "पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया" PFI नामक संस्था द्वारा इसे आंदोलन बनाने की कोशिश की गई. 

यह भी पढ़ें : महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी पर लगाया कश्मीर की सूफी परंपराओं को खत्म करने का आरोप

सिर्फ हिजाब को प्रतिबंधित करने वाले सर्कुलर की बात करना और विरोध करना गलत है. उस सर्कुलर के अनुसार, अगर अन्य समुदाय के स्टूडेंट्स भगवा और गमछा पहनकर आएं तो वो भी प्रतिबंधित हैं.

सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक सरकार की ओर से SG तुषार मेहता की अहम दलील

PFI की मुहिम के चलते लगातार सोशल मीडिया पर मैसेज सर्कुलेट होने लगे और हिजाब पहनना शुरू हो गया. ये एक साजिश थी जो सरकार की जानकारी में है और ऑन रिकॉर्ड है. यह सब एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा था. स्कूली बच्चे साजिश भारी सलाह के अनुसार काम कर रहे थे.

हिजाब मामले में कोर्ट ने जब मुस्लिम पक्ष की इस दलील के बारे में सरकार के वकील मेहता से पूछा कि कुरान में हिजाब का उल्लेख है? तो सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि अगर ऐसा है तो क्या यह वास्तव इतना अहम में है? जो इस्लामिक देश हैं, वहां महिलाएं हिजाब के खिलाफ लड़ रही हैं.

यह भी पढ़ें : लखनऊ नगर निगम के नए नियमों के हिसाब से अब कुत्ते को पालना नहीं होगा आसान

जस्टिस धूलिया : वह कौन सा देश है? 

एसजी ने बताया- ईरान.  

उन्होंने दलील दी है कि कुरान में उल्लेख का मतलब यह नहीं है कि वह अनिवार्य है. शायद, आदर्श हो सकता है लेकिन ज़रूरी नहीं.