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कर्नाटक हाई कोर्ट के जज को ट्रांसफर की धमकी मामले में एसआईटी जांच की मांग करने वाली याचिका खारिज

कर्नाटक हाई कोर्ट के जज को ट्रांसफर की धमकी मामले में एसआईटी जांच की मांग करने वाली याचिका खारिज

Updated on: 25 Jul 2022, 06:45 PM

बेंगलुरू:

कर्नाटक उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें यहां एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को स्थानांतरित किए जाने की धमकी की जांच की मांग की गई थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी की अध्यक्षता वाली पीठ ने रमेश नायक की याचिका पर विचार किया।

पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया, पता नहीं किसके पास न्यायाधीशों को स्थानांतरित करने का अधिकार है? पॉवर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के पास नहीं है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान द्वारा निर्धारित है।

पीठ ने आगे कहा कि कोई न्याय को छू भी नहीं सकता। कर्नाटक उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश एच.पी. संदेश को ट्रांसफर करने की धमकी दी गई थी, जिसे लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी।

जनहित याचिका में इस धमकी की जांच उच्च वशेष शाखा से कराने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि इस तरह की धमकियों के मद्देनजर जज बिना पक्षपात के काम नहीं कर पाएंगे।

याचिका में आगे दावा किया गया कि इससे समाज में गलत संदेश जाएगा। न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा के संदर्भ में कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए और न्यायपालिका में लोगों के बीच अधिक विश्वास पैदा करने के उपाय भी किए जाने चाहिए।

न्यायमूर्ति एच.पी. संदेश ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में नियुक्तियों के संबंध में सत्तारूढ़ भाजपा को आड़े हाथों लिया था। इसके बाद, एसीबी ने भ्रष्टाचार के आरोप में बेंगलुरु शहरी जिले के बेंगलुरु शहरी उपायुक्त (डीसी) जे. मंजूनाथ को गिरफ्तार किया।

न्यायमूर्ति संदेश ने कहा था कि उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के माध्यम से स्थानांतरण की धमकी दी गई थी और उन्होंने इसकी ज्यादा परवाह नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि वह दबाव के आगे झुकने के बजाय अपने खेत में वापस जाने और कृषि करने के लिए तैयार थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने एसीबी और प्रभारी अधिकारी पर की गई टिप्पणियों पर रोक लगा दी।

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