logo-image

पीड़ितों को मुआवजा जारी नहीं करने पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को लगाई फटकार

पीड़ितों को मुआवजा जारी नहीं करने पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को लगाई फटकार

Updated on: 04 Jan 2022, 05:45 PM

बेंगलुरु:

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को मुआवजा राशि जारी नहीं करने पर राज्य सरकार पर कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर मुआवजे की राशि तुरंत जारी नहीं की गई तो महिला एवं बाल कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को अगली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष पेश होना होगा।

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराजू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यौन उत्पीड़न के पीड़ितों के कल्याण के लिए काम कर रहे द पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट सेक्सुअल असॉल्ट एसोसिएशन की याचिका पर विचार करते हुए सोमवार को यह आदेश दिया।

कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (केएसएलएसए) की ओर से पेश वकील ने अदालत को सूचित किया कि सरकार ने इस संबंध में उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद पीड़ितों के लिए मुआवजा जारी नहीं किया है।

उच्च न्यायालय ने 19 मार्च, 2020 को सरकार को केएसएलएसए को मुआवजे की राशि जारी करने का निर्देश दिया था। केएसएलएसए ने पीड़ितों को दिए जाने के लिए 20 करोड़ रुपये की मांग की है। हालांकि, सरकार ने आर्थिक संकट का कारण बताते हुए कोई राशि जारी नहीं की है। अदालत ने फिर से सरकार को मई 2020 तक कम से कम एक चौथाई राशि जारी करने का निर्देश दिया था, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई राशि जारी नहीं की है।

बेंगलुरु स्थित पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट सेक्सुअल असॉल्ट एसोसिएशन ने इस संबंध में एक याचिका दायर की है, जिसमें दावा किया है कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को आवश्यक सुरक्षा और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

एसोसिएशन ने मुफ्त चिकित्सा सुविधा, यौन उत्पीड़न के मामलों को तेजी से निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना, महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए मीडिया पर प्रतिबंध, कार्य स्थल पर पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.