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राहुल गांधी कर्नाटक के रण में भी आजमाएंगे 'सॉफ्ट हिंदुत्व' की रणनीति

अगले हफ्ते राहुल के साथ दिल्ली में कर्नाटक के नेताओं की मीटिंग के बाद इस प्लान पर मुहर लग जायेगी।

Updated on: 11 Jan 2018, 02:52 PM

highlights

  • गुजरात चुनावों में राहुल का जनेऊधारी हिन्दू और शिवभक्त अवतार भी आया सामने
  • अगले हफ्ते राहुल के साथ दिल्ली में कर्नाटक के नेताओं की मीटिंग के बाद इस प्लान पर मुहर लग जायेगी

नई दिल्ली:

गुजरात में राहुल गांधी के मंदिरों के दर्शन ने सियासत में खूब सुर्खियां बटोरीं। राहुल और कांग्रेस पर सॉफ्ट हिंदुत्व की लकीर खींचने को लेकर खूब चर्चा भी हुई।

गुजरात चुनावों में राहुल का जनेऊधारी हिन्दू और शिवभक्त अवतार भी सामने आया। चुनाव तक पार्टी में हिचकिचाहट रही कि कहीं दांव उल्टा ना पड़ जाए।

नतीजों के बाद कांग्रेस को भले ही जीत नहीं मिली हो, लेकिन मजबूत टक्कर देने में जरूर कामयाब हो गयी। पार्टी और टीम लगता है कि राहुल की नई नीति सफल है, इसी के चलते गुजरात में बीजेपी हिंदुत्व का मुद्दा नहीं भुना सकी।

साथ ही तमाम बड़े मंदिरों में जहां राहुल दर्शन के लिए गए उस विधानसभा में कांग्रेस जीत गयी। राहुल के मंदिर दर्शन के सवाल पर कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत याद दिलाते हैं कि प्रभात फेरी और भजन कीर्तन कांग्रेस सालों पहले से करती आई है, कांग्रेस के लिए ये नया नहीं है। और कांग्रेस एक सेकुलर पार्टी है वह सभी धर्मों का आदर करती है

इसी के बाद आगे के चुनावों की रणनीति भी इसी के इर्द-गिर्द तैयार हो रही है। अगले हफ्ते राहुल के साथ दिल्ली में कर्नाटक के नेताओं की मीटिंग के बाद इस प्लान पर मुहर लग जायेगी।

20 जनवरी के बाद से राहुल के कर्नाटक दौरे के पहले चरण की शुरुआत हो होगी। इस दौरे के लिए कर्नाटक कांग्रेस ने अपना प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसको राहुल के साथ बैठक में चर्चा के बाद घोषित किया जाएगा। इसमें तारीखों को लेकर ही थोड़े बहुत फेरबदल की संभावना है।

अपनी कर्नाटक यात्रा के पहले चरण में राहुल तीन बड़ी जगहों पर जाएंगे, हर जगह को वर्ग के साथ जोड़ा जा रहा है।

मैसूर-  बेंगलूरू के करीब मैसूर राहुल के छोटे-मोटे कार्यक्रमों के अलावा एक बड़ा युवा सम्मेलन रखा गया है। टेक्नोलॉजी और युवाओं के जॉब के लिहाज से इसको चुना गया है।

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बेलगाम- ये वो शहर है जहां महात्मा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी। इसलिए इसको चुना गया है, यहां राहुल महिला सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

बेल्लारी- इस इलाके के मद्देनजर आदिवासियों की संख्या के लिहाज से यहां आदिवासी सम्मेलन तय हुआ है। इसका भी ऐतिहासिक महत्व है, यहीं से सोनिया गांधी ने 1999 में विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर चुनौती देने वाली सुषमा स्वराज को पटखनी दी थी।

साथ ही राहुल के इस पहले चरण में गुजरात की तर्ज पर आदि वेदांत से सम्बंधित बड़ा धार्मिक स्थल श्रृंगेरी मठ भी शामिल है। कभी राहुल की दादी इंदिरा भी शृंगेरी मठ के दर्शन के लिए चिकमंगलूर गयी थीं।

इंदिरा ने चिकमंगलूर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, तब इंदिरा के सामने 10 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा था तभी स्थानीय कांग्रेसियों ने विवादित नारा लगाया था कि एक शेरनी दस लंगूर, चिकमंगलूर-चिकमंगलूर।

राहुल के मंदिर जाने पर कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ मुड़ने का सवाल लाजमी है। इस सवाल के जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरपीएन सिंह का कहना है कि मंदिरों में अगर कोई हिन्दू आशीर्वाद लेने जाता है तो बीजेपी को क्यों ऐतराज होता है। हिन्दू मंदिरों में तब से जाते हैं, जब भाजपा का जन्म भी नहीं हुआ था।

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