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Karnataka Crisis: खरीद-फरोख्त रोकने के सवाल पर जज साहब ने कहा- मैडम खुश रहने के लिए आप यह करें

चीफ़ जस्टिस ने हल्के अंदाज में लिली थॉमस से कहा- मैडम आप अखबार न पढ़िए, टीवी न देखिए तो ज़्यादा खुश रहेगी. आप वकील हैं. जो कुछ भी आप कहना चाहती हैं उसके लिए अर्जी दायर कीजिए.

Updated on: 22 Jul 2019, 02:07 PM

highlights

  • लिली थॉमस ने कहा सुप्रीम कोर्ट खरीद-फरोख्त रोकने के लिए दखल दे.
  • अदालत ने कहा खुश रहने के लिए टीवी अखबार से रहें दूर.
  • लिली थॉमस ने ही दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगवाई थी.

नई दिल्ली.:

कर्नाटक के नाटक ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में भी कुछ हल्के फुल्के पल ला दिए. मौका था दो निर्दलीय विधायकों की याचिका पर सुनवाई का. सर्वोच्च अदालत ने उस पर आदेश देने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता लिली थॉमस को सलाह दे डाली कि खुश रहने के लिए अखबार और टीवी से दूर रहें. महिला वकील ने कर्नाटक में चल रहे नाटक के बीच विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकने का आग्रह किया था. यह वही ख्यात वकील हैं जिनके लंबे संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में दोषी पाए गए नेताओं को पद से हटने और चुनावों में भाग नहीं लेने का आदेश दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट में हो रही थी बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई
प्राप्त जानकारी के मुताबिक सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को कर्नाटक के दो बागी निर्दलीय विधायकों की याचिका पर सुनवाई करनी थी. इस याचिका में विधायकों ने मामले की जल्द सुनवाई कर कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को सोमवार शाम तक सदन में विश्वास मत हासिल करने का आदेश देने का आग्रह किया गया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया और अन्य याचिकाओं पर गौर करने लगे.

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लिली थॉमस से कहा अपील दायर करें
कर्नाटक मसले पर ही एक टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता लिली थॉमस ने भी की थी. मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए लिली थॉमस ने कर्नाटक में 'हॉर्स ट्रेडिंग' और विधायकों के दलबदल को लेकर छपी मीडिया रिपोर्ट्स के हवाला देते हुए कोर्ट से दखल देने की मांग की. चीफ़ जस्टिस ने इस पर हल्के अंदाज में कहा- मैडम आप अखबार न पढ़िए, टीवी न देखिए तो ज़्यादा खुश रहेगी. आप वकील हैं. जो कुछ भी आप कहना चाहती हैं उसके लिए अर्जी दायर कीजिए.

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लिली थॉमस के नाम दर्ज है यह उपलब्धि
गौरतलब है कि लिली थॉमस वही वकील हैं जिनके प्रयासों से नेताओं को अब जनप्रतिनिधि कानून के पेंच-ओ-खम का लाभ नहीं मिलता. जनप्रतिनिधित्व कानून में पहले प्रावधान किया गया था दोषी करार दिए जाने के बाद भी जनप्रतिनिधि अपनी कुर्सी पर बने रह सकते हैं अगर वह उस अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देते हैं. इसके खिलाफ ही लिली थॉमस ने 2003 में लड़ाई शुरू की थी, जिस पर लगभग एक दशक बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था.