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केरल रेल परियोजना को पूर्ण होने में लगेंगे 127 वर्ष: अर्थशास्त्री

केरल रेल परियोजना को पूर्ण होने में लगेंगे 127 वर्ष: अर्थशास्त्री

Updated on: 26 Feb 2022, 10:45 PM

तिरूवनंतपुरम:

प्रख्यात अर्थशास्त्री के पी कन्नन ने केरल सरकार की विवादित केरल रेल परियोजना-सिल्वरलाइन पर आयोजित एक परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा है कि अगर इसकी निर्माण तुलना कोच्चि मेट्रो से की जाए तो इसे पूरा होने में 127 वर्ष और दिल्ली मेट्रो से करें तो यह 37 वर्षों में पूरी हो पाएगी।

इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन का ड्रीम प्रोजेक्ट 529.45 किलोमीटर लंबा कोरिडोर पूरा होता है तो इससे तिरूवनंतपुरम और कैसरगोड़ के बीच की दूरी को तय करने में मात्र चार घंटे का समय लगेगा ,लेकिन इस पर 63,940 करोड़ रूपए की लागत आएगी। नीति आयोग का कहना है कि इस पर 1.24 लाख करोड़ रुपए की लागत आएगी और यह वर्ष 2025 में पूरी होगी। राज्य में इस परियोजना को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सरकार ने इसके लिए सर्वे प्रक्रिया शुरू कर दी है।

सेंटर फॉर डेवलेपमेंट स्टडीज (सीडीएस) के पूर्व प्रोफेसर और वर्तमान में मानद फेलो कन्नन ने कहा कि चीन का सर्वाधिक आर्थिक विकास वर्ष 1978 से 2007 के बीच हुआ था। इसके बाद उसने त्वरित रेल परियोजनाओं को अपनाया और आज पूरे विश्व की त्वरित रेल परियोजनाओं का 40 प्रतिशत हिस्सा चीन में है। जापान,चीन और स्पेन में ऐसी त्वरित रेल परियोजनाओं का हिस्सा 75 प्रतिशत है और इनके बारे में हुए अध्ययन दर्शाते हैं कि इनके अंतिम नतीजे हताश करने वाले हैं।

उन्होंने ऐसी रेल परियोजनाओं के पूरा होने में लगने वाले समय पर कहा अगर हम कोच्चि मेट्रो को देखे तो पाएंगे कि श्रीधरन जैसे मशहूर तकनीकीविद़ ने उसे पूरा करने में काफी लंबा समय लिया था और दिल्ली मेट्रो के लिए बेहतर मानकों का पालन करने के बावजूद 25 किलोमीटर की दूरी को पूरा करने में दिल्ली मेट्रो रेल निगम को छह वर्ष लगे थे। इसका अर्थ यह हुआ कि एक वर्ष में औसतन मात्र 4.17 किलोमीटर निर्माण कार्य ही पूरी हो सका था। अगर दिल्ली मेट्रो के निर्माण समय को मानक के तौर पर लिया जाए तो केरल रेल परियोजना को पूरा होने में 37 वर्षों का समय लगेगा।

केरल में विभिन्न क्षेत्रों में परियोजना लागत में वृद्धि के संबंध में, बिजली परियोजनाओं की लागत सबसे कम है और अगर इसे बेंचमार्क के रूप में लिया जाता है, तो केरल सरकार इस रेल परियोजना पर कुल 63,940 करोड़ रुपये खर्च होने की बात कहती है लेकिन जब यह बनकर तैयार होगी तो इसका खर्च 2.47 लाख करोड़ होगा। अगर नीति आयोग की वर्तमान आकलन क्षमता को आधार मान लिया जाए जो यह कहता है कि इस पर 1.24 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे तो इसके पूरा होने 4.79 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे।

कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने विजयन की इस प्रिय परियोजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध की योजना बनाई है और यह 10 मार्च से 4 अप्रैल तक शुरू होगा। इस बीच विजयन अपनी उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए तैयार हो रहे हैं, जिसमें उनके ²ष्टिकोण पर प्रकाश डाला गया है कि केरल के विकास के लिए इस परियोजना की आवश्यकता क्यों हैं।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.