Ayodhya Verdict: जानें केके मोहम्मद (KK Muhammad) के बारे में जिनके सबूतों ने राममंदिर का रास्ता किया साफ
Ayodhya Verdict:भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग के पूर्व निदेशक केके मोहम्मद हमेशा से ही विवादित स्थल पर मंदिर होने का दावा करते हैं.
नई दिल्ली:
अयोध्या विवााद (Ayodhya Dispute) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राम लला विराजमान के हक में जो फैसला (Ayodhya Verdict) सुनाया उसके पीछे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग के सबूत ही आधार बने और इन्हीं सबूतों के आधार पर ही कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि यहां पर एक भव्य मंदिर था. इन सबूतों को इकट्ठा करने वाली भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के बी बी लाल की टीम का एक अहम हिस्सा थे केके मोहम्मद.भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग के पूर्व निदेशक केके मोहम्मद हमेशा से ही विवादित स्थल पर मंदिर होने का दावा करते रहे हैं.
उन्होंने कहा है कि यहां पर एक बार फिर से मंदिर ही बनाना चाहिए. मंदिर की बात करने पर उनको कुछ समूहों की ओर धमकी दी गई थी. लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के 5 जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से राम मंदिर के हक में फैसला (Ayodhya Verdict) सुनाया तो केके मोहम्मद ने कहा कि आज वह खुद को 'दोषमुक्त' महसूस कह रहे हैं.
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न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह बिलकुल वही फैसला (Ayodhya Verdict) है जैसा सब लोग चाहते थे. केके मोहम्मद केरल के कॉलीकट के रहने वाले हैं . केके मोहम्मद 1976 में बने उस टीम की हिस्सा भी रहे हैं जिसने राम जन्म भूमि संबंधी पुरातात्विक खुदाई भी की थी. हालांकि जब उन्होंने उस वक्त ये बयान दिया था कि अयोध्या में राम का आस्तित्व है. तो उन्हें विभागीय कार्रवाई का सामना भी करना पड़ा था. लेकिन केके मोहम्मद ने कहा कि झूठ बोलने के बजाए वो अपना फर्ज निभाते हुए मरना पसंद करेंगे.
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बता दें शनिवार को फैसला (Ayodhya Verdict) पढ़ने के दौरान पीठ ने कहा कि ASI रिपोर्ट के मुताबिक नीचे मंदिर था. CJI ने कहा कि ASI ने भी पीठ के सामने विवादित जमीन पर पहले मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं.
- कोर्ट ने जमीन पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के साथ-साथ निर्मोही अखाड़े का भी दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा केवल प्रबंधन देख सकता है, जमीन पर उसका कोई हक नहीं है. लेकिन कोर्ट ने राम लला विराजमान को एक पक्षकार के रूप में माना और कानूनी वैद्यता दी.
- कोर्ट ने कहा कि रामजन्म स्थान की कानूनी वैधता नहीं है.
- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि राम के प्रति हिंदुओं की आस्था पर गवाहों ने सवाल नहीं उठाए. हिंदू अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं, इस पर विवाद नहीं है.
- राम चबूतरा और सीता रसाई पर कोई विवाद नहीं है. इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि राम चबूतरा और सीता रसोई पर पूजा होती थी.
- सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ASI ने ये नहीं माना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी. आस्था और विश्वास पर कोई विवाद नहीं हो सकता. हिंदुओं का विश्वास है कि विवादित स्थल पर भगवान राम का जन्म हुआ था. लेकिन पुरातात्विक प्रमाणों से हिंदू धर्म से जुड़ी संरचना का पता चलता है. इतिहासकारों और यात्रियों के विवरणों से भगवान राम के जन्म भूमि का ज़िक्र है.
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