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निर्भया को इंसाफ: जानिए क्या था वह सबसे अहम सबूत जिसने पीड़िता को दिलाया इंसाफ

16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया (Nirbhaya) (परिवर्तित नाम) के साथ जिस बस (Bus) में वीभत्स गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape Case) हुआ था. आखिरकार वही बस केस को सुलझाने में पुलिस के लिए अहम कड़ी साबित हुई थी.

Updated on: 20 Mar 2020, 06:02 AM

नई दिल्ली:

16 दिसंबर 2012 की रात निर्भया (Nirbhaya) (परिवर्तित नाम) के साथ जिस बस (Bus) में वीभत्स गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape Case) हुआ था. आखिरकार वही बस केस को सुलझाने में पुलिस के लिए अहम कड़ी साबित हुई थी. दरअसल, पुलिस को बस से कई अहम सबूत मिले थे जो निर्भया के दोषियों को सजा दिलाने में काफी महत्वपूर्ण साबित हुए. निर्भया के चारों दोषियों को आज आखिरकार फांसी दे दी गई. क्या थी उस बस से जुड़ी कहानी और अभी कहां है वह बस. आइये जानने की कोशिश करते हैं.

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योजना बनाकर दिया था घटना को अंजाम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर को शर्मसार करने वाली निर्भया कांड में शामिल रही बस फिलहाल दिल्ली के सागरपुर एरिया में काफी खराब हालात में खड़ी है. जानकारी के मुताबिक 16 दिसंबर की रात सफेद रंग की बस (नंबर 0149) रविदास कैंप में खड़ी थी. बस के ड्राइवर राम सिंह ने मुकेश, अक्षय, पवन, विनय और एक नाबालिक के साथ एक वीभत्स योजना बनाकर रविदास कैंप से आरके पुरम से चलते हैं. उन्होंने बस में आरकेपुरम में बस में CNG डलवाते हैं और फिर अफ्रीका एवेन्यू होकर आईआईटी फ्लाईओवर पुलिस कॉलोनी के पास पहुंचते हैं. उसी जगह पर एक व्यक्ति कहीं जाने के लिए हाथ देकर बस को रुकवाता है लेकिन बस में सवार होते ही पहले से सवार सभी आरोपियों ने उससे लूटपाट करके नीचे फेंक देते हैं. इसके बाद बस हौजखास गोल्डन ड्रेगन रेस्टोरेंट की रेड लाइट से यू-टर्न लेकर मुनिरका बस स्टैंड की ओर चली जाती है.

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मुनिरका बस स्टैंड पर निर्भया और उसका दोस्त दोनों वाहन का इंतजार कर रहे थे. बस में महरून रंग के पर्दे और भगवान शिव की मूर्ति लगी हुई थी. निर्भया और उसका दोस्त बस में कंडक्टर की सीट के पीछे दूसरी पंक्ति में बैठे थे. पैसे देते समय एक आरोपी ने निर्भया के साथ अश्लील हरकती तो उसके दोस्त ने उसका विरोध किया. विरोध करने पर सभी आरोपी उसके दोस्त के साथ मारपीट करने लग गए. उसके बाद निर्भया के साथ सभी आरोपियों ने बारी बारी से गैंगरेप को अंजाम दिया. सभी आरोपियों ने निर्भया और उसके दोस्त के कपड़ों के साथ अपने कपड़ों को भी जला दिए. सबूत को मिटाने के लिए बचे हुए कपड़ों को जमीन में गाड़ दिया और बस को पूरी तरह से धो दिया.

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पुलिस की जांच में यह बात सामने आई थी कि बस सफेद रंग की थी और बस के ऊपर यादव लिखा हुआ था. इसके अलावा ड्राइविंग सीट के पास भगवान शिव की मूर्ति लगी हुई थी. हालांकि दोषियों ने बस से भगवान शिव की मूर्ति को हटा दिया था. पुलिस को सीसीटीवी से कुछ अहम सुराग हाथ लगे थे. उस समय के कोटला मुबारकपुर थाने के SHO नरेश सोलंकी को अपने सूत्रों से एक अहम जानकारी मिली कि 'यादव ट्रेवल्स' की एक बस रोज रात आरके पुरम रविदास कैंप में खड़ी होती है. घटना के अगले ही दिन यानी 17 दिसंबर को पुलिस ने आरोपी राम सिंह को रविदास कैंप से शाम 4 बजे गिरफ्तार कर लिया था. उस वीभत्स घटना में यह पुलिस की ओर से पहली गिरफ्तारी थी.