कांग्रेस ने दिल्ली हिंसा मामले में सुनवाई करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के तबादले को लेकर बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि भाजपा के कुछ नेताओं को बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है जिससे न्यायपालिका के खिलाफ बदले की कार्रवाई करने का मोदी सरकार का चेहरा एक फिर बेनकाब हो गया है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने न्यायाधीश के तबादले पर सवाल खड़े करते हुए दावा किया कि सरकार ने न्याय अवरुद्ध करने का प्रयास किया है.
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कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह दावा भी किया कि यह कपिल मिश्रा और कुछ अन्य भाजपा नेताओं को बचाने का षड्यंत्र है, लेकिन 'मोदी-शाह सरकार' सफल नहीं होगी. राहुल गांधी ने दिवंगत न्यायाधीश लोया के मामले का उल्लेख किया और सरकार पर तंज करते हुए ट्वीट किया, ''बहादुर न्यायाधीश लोया को याद कर रहा हूं कि जिनका तबादला नहीं किया गया था.''
प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, " न्यायमूर्ति मुरलीधर का मध्यरात्रि में तबादला मौजूदा शासन को देखते हुए चौंकाने वाला नहीं है. लेकिन यह निश्चित तौर पर दुखद और शर्मनाक है.'' उन्होंने आरोप लगाया, '' करोड़ों भारतीय नागरिकों को न्यायपालिका पर आस्था है. न्याय को अवरुद्ध करने और लोगों का विश्वास तोड़ने का सरकार का प्रयास निंदनीय है." सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ''26 फरवरी को न्यायमूर्ति मुरलीधर एवं न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की दो न्यायाधीशों की पीठ ने दंगा भड़काने में कुछ भाजपा नेताओं की भूमिका को पहचानकर उनके खिलाफ सख्त आदेश पारित किए एवं पुलिस को कानून के अंतर्गत तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया. इसके कुछ घन्टे बाद ही एक न्यायधीश का तबादला कर दिया गया.''
उन्होंने आरोप लगाया, ''मोदी सरकार ने न्यायपालिका की निष्पक्षता पर हमला बोला है. न्यायपालिका के खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही है.'' सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या भाजपा नेताओं को बचाने के लिए तबादले का यह कदम उठाया गया? क्या भाजपा सरकार को डर था कि भाजपा नेताओं के षड्यंत्र का पर्दाफाश हो जाएगा? कितने और न्यायाधीशों का तबादला करेंगे?
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उन्होंने दावा किया, ''न्यायपालिका पर दबाव डालने का काम भाजपा सरकार ने कोई पहली बार नहीं किया है. पहले भी कई बार कर चुकी है. न्यायमूर्ति केएम जोसफ, न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति गीता मित्तल के मामलों में ऐसा किया गया." दरअसल, मुरलीधर को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया है. उन्होंने दिल्ली हिंसा के मामले पर सुनवाई की थी. गौरतलब है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में भड़की हिंसा में 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.
Source : Bhasha