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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर का निधन, फेफड़ों में संक्रमण से पीड़ित थे

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर का निधन हो गया है. जस्टिस शांतनागोदर 62 साल के थे.

Updated on: 25 Apr 2021, 07:13 AM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस शांतनागोदर का निधन
  • जस्टिस शांतनागोदर फेफड़ों में संक्रमण से पीड़ित थे
  • गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में चल रहा था इलाज

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर का निधन हो गया है. जस्टिस शांतनागोदर 62 साल के थे. उन्होंने देर रात गुरुग्राम (Gurugram) के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली. कोर्ट के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है. बताया जा रहा है कि जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर (Justice Mohan M Shantanagoudar) के फेंफड़ों में संक्रमण था. तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर शनिवार को उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में भर्ती कराया गया था. देर शाम तक आईसीयू (ICU) में उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही थी.

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हालांकि देर रात इलाज के दौरान जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर का निधन हो गया.  कोर्ट के अधिकारी के मुताबिक, देर रात करीब साढ़े 12 बजे उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने परिवार को यह दुखद समाचार दिया. हालांकि जस्टिस शांतनागोदर कोरोना वायरस से संक्रमित थे या नहीं, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है.

आपको बता दें कि जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर कर्नाटक के रहने वाले थे. पांच मई 1958 को कर्नाटक में उनका जन्म हुआ था. 5 सितंबर 1980 को वकील के तौर पर मोहन एम शांतनागोदर ने पंजीकरण कराया था. जस्टिस शांतनागोदर 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर पदोन्नत हुए थे. हालांकि इससे पहले न्यायमूर्ति शांतनागोदर केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे थे.

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आपको बता दें कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में एम नागेश्वर राव की नियुक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में न्यायमूर्ति मोहन एम. शांतनागोदर भी शामिल थे. यह मामला 2018 का है, जब सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच होने तक अवकाश पर भेजे जाने के बाद एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाया गया था. हालांकि इस नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.