जज लोया मामला: BJP के बाद कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- RSS के इशारे पर दी गई जनहित याचिका

कांग्रेस ने गुरुवार को जज बीएच लोया की मौत के मामले में अपंजीकृत संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर अमित शाह को बचाने के लिए 'प्रेरित जनहित याचिका' दायर करने का आरोप लगाया और कहा कि इसे आरएसएस नेता भैयाजी जोशी के 'निर्देशों' पर बीजेपी कार्यकर्ता सूरज लोलागे ने दायर किया।

author-image
Narendra Hazari
एडिट
New Update
जज लोया मामला: BJP के बाद कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा- RSS के इशारे पर दी गई जनहित याचिका

कांग्रेस वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (फोटो IANS)

कांग्रेस ने गुरुवार को जज बीएच लोया की मौत के मामले में अपंजीकृत संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर अमित शाह को बचाने के लिए 'प्रेरित जनहित याचिका' दायर करने का आरोप लगाया और कहा कि इसे आरएसएस नेता भैयाजी जोशी के 'निर्देशों' पर बीजेपी कार्यकर्ता सूरज लोलागे ने दायर किया।

Advertisment

जोशी ने लोलागे को इसे सर्वोच्च न्यायालय से वापस नहीं लेने का भी निर्देश दिया था। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह सब जज लोया की मौत के मामले को बंद करवाने के लिए प्रायोजित तरीके से किया गया।

उन्होंने यह भी कहा कि वह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पिछले हफ्ते इस संबंध में एसआईटी जांच की मांग को खारिज किए जाने के आदेश के दौरान यह कहे जाने से भी सहमत हैं कि एक जनहित याचिका का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग हो सकता है और वही हुआ भी।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हम सर्वोच्च न्यायालय से सहमत हैं कि इस तरह की कई जनहित याचिकाएं पूरी तरह से राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इच्छित फल की प्राप्ति के लिए दाखिल की जाती हैं।'

और पढ़ें: पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ को SC ने अयोग्य ठहराया, नवाज शरीफ पर भी लग चुका है प्रतिबंध

सिब्बल ने कहा कि सूर्यकांत लोलागे उर्फ सूरज लोलागे ने पिछले वर्ष कारवां पत्रिका की रिपोर्ट के आधार पर 27 नवंबर को बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के समक्ष पहली जनहित याचिका दायर की थी।

कांग्रेस नेता ने कहा कि लोलागे इस वर्ष जनवरी में वकील व सामाजिक कार्यकर्ता सतीश उके के साथ कांग्रेस के संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुए थे, जहां पार्टी ने दिसंबर 2014 में न्यायाधीश लोया की संदिग्ध परिस्थिति में मौत की जांच एसआईटी से करवाने की मांग की थी।

सिब्बल ने कहा कि पार्टी को उस वक्त लोलागे की पृष्ठभूमि और बीजेपी व आरएसएस से उसकी निकटता के बारे में पता नहीं था।

उन्होंने कहा, 'हमें बाद में पता चला कि सूरज लोलागे को भैयाजी जोशी ने जनहित याचिका दायर करने और सर्वोच्च न्यायालय से इसे वापस न लेने का निर्देश दिया था। उनका आशय सूरज लोलागे और सतीश उके के भाई प्रदीप उके की फरवरी, 2018 में हुई बातचीत से स्पष्ट हो जाता है।'

गौरतलब है कि जज लोया की बहन ने कहा था कि उनके भाई की मौत की खबर और उनका सामान लेकर आरएसएस का एक कार्यकर्ता उनके घर गया था, तभी उन्हें संदेह हो गया था कि 44 वर्षीय जज लोया की स्वाभाविक मौत नहीं हुई है। उनके परिवार को पहले से फोन पर धमकियां दी जा रही थीं।

कुछ दिनों पहले जज लोया के बेटे का मीडिया के सामने आकर अचानक यह कहना कि वह अपने पिता की मौत की जांच नहीं करवाना चाहता और उधर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जांच की मांग वाली याचिका खारिज हो जाना संदेह उत्पन्न करता है।

रंजन गोगोई सहित चार न्यायाधीशों ने इस ओर इशारा किया था कि मामले को रफा-दफा करने का उपाय लगाया जा रहा है। बेहतर यह होता कि जांच का आदेश दे दिया जाता तो जांच के बाद अमित शाह की बेगुनाही साबित हो जाती और पीड़ित परिवार को भी तसल्ली हो जाती।

और पढ़ें: पाकिस्तान बन सकता है विश्व का तीसरा सबसे बड़ा परमाणु हथियार रखने वाला देश, दक्षिण एशिया के लिए खतरा

Source : IANS

congress Judge loya death case RSS BJP
      
Advertisment