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सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए जस्टिस कर्णन, कहा- मैं करप्ट जजों के खिलाफ लड़ रहा हूं

सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि 'मैंने न्यायपालिका के खिलाफ कुछ नही किया। मैं करप्ट जजों के खिलाफ लड़ रहा हूं, जिनके खिलाफ कोई एक्शन नही लिया गया।'

Updated on: 31 Mar 2017, 02:57 PM

नई दिल्ली:

अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाइकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन सुप्रीम कोर्ट सात जजों के बेंच के सामने पेश हुए। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि 'मैंने न्यायपालिका के खिलाफ कुछ नही किया। मैं करप्ट जजों के खिलाफ लड़ रहा हूं, जिनके खिलाफ कोई एक्शन नही लिया गया।'

कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को एक और मौका दिया है। कोर्ट ने जस्टिस कर्नन को चार हफ्ते का समय दिया है। इस दौरान उनसे पूछा गया कि क्या वे जजों पर लगाये गए आरोप पर कायम हैं या फिर बिना शर्त माफी मांगने को तैयार हैं।

जस्टिस कर्नन ने सुनवाई के दौरान कहा कि मेरे से जुडिशल काम वापिस लेने से मैं मानसिक रूप से परेशान हो चला हूँ, मुझे गिरफ्तार करो या दण्डित करो, लेकिन मुझे मेरा काम लौटा दो। कोर्ट ने उनके इस मांग को ठुकरा दिया।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के समन के बावजूद कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सी एस कर्णन कई बार फिर सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं हुए। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 31 मार्च को पेश होने का निर्देश दिया था।

कहां से शुरू हुआ मामला

बता दें कि जस्टिस कर्णन 2011 से पूर्व और मौजूदा जजों पर शुरू से आरोप लगाते आ रहे हैं कि उनके दलित होने की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है।

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जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी को 'प्रधानमंत्री को लिखे एक खत में 20 सिटिंग और रिटायर्ड जजों पर करप्शन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई किये जाने की मांग की थी।' सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के इस तरह के खत और अलग-अलग जगह पर दिए गए बयानों का स्वतः संज्ञान लिया हैं। 

इससे पहले भी रहा विवादों से नाता 

2016 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से कोलकाता हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए जाने के आदेश पर जस्टिस कर्णन ने कहा था कि उन्हें दुख है कि वह भारत में पैदा हुए हैं और वह ऐसे देश में जाना चाहते हैं जहां जातिवाद न हो। कलकत्ता हाईकोर्ट से पहले जस्टिस कर्णन मद्रास हाईकोर्ट में तैनात थे।

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