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जब जस्टिस सीकरी ने कहा- मामला सुनने लायक है, पर मैं सुन नहीं सकता

जस्टिस सीकरी उस हाई पावर कमेटी के सदस्य थे, जिन्होंने आलोक वर्मा को सीबीआइ डायरेक्टर से ट्रांसफर करने का फैसला लिया था.

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Sunil Mishra
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जब जस्टिस सीकरी ने कहा- मामला सुनने लायक है, पर मैं सुन नहीं सकता

सुप्रीम कोर्ट की प्रतीकात्‍मक तस्वीर

एम नागेश्वर राव को सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से जस्टिस एके सीकरी ने ख़ुद को अलग कर लिया. जस्टिस सीकरी उस हाई पावर कमेटी के सदस्य थे, जिन्होंने आलोक वर्मा को सीबीआइ डायरेक्टर से ट्रांसफर करने का फैसला लिया था. इससे पहले सोमवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी इस मामले की सुनवाई से अलग हो चुके हैं. 

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दवे ने कहा-ग़लत सन्देश जाएगा

हालांकि आज की सुनवाई भी कम दिलचस्प नहीं रही. जब जस्टिस सीकरी ने कहा कि वो इस मामले की सुनवाई से अलग कर रहे हैं तो कॉमन कॉज एनजीओ की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने इसका विरोध किया. दुष्यन्त दवे ने कहा -इससे पहले चीफ जस्टिस भी मामले की सुनवाई से अलग कर चुके हैं. अब आपके भी इंकार करने के बाद ये ग़लत संदेश जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले को सुनना ही नहीं चाहता. अगर आपको ये मामला सुनना ही नहीं था, तो सुनवाई से पहले ही आपको ये फैसला ले लाना चाहिए था. दवे ने ये भी कहा कि आलोक वर्मा को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने दायरे से बाहर जाकर काम किया, लेकिन अभी नई नियुक्ति की बारी है, तो कोर्ट सुनना ही नहीं चाहता.

यह भी पढ़ें : एम नागेश्‍वर राव की नियुक्‍ति: CJI के बाद अब जस्‍टिस एके सीकरी भी सुनवाई से अलग हुए

हालांकि जस्टिस सीकरी मामले की सुनवाई से ख़ुद को अलग करने के फैसले पर अड़े रहे. उन्होंने कहा - चूंकि चीफ जस्टिस के ज्यूडिशियल आर्डर से मामला उनके सामने लगा था, लिहाज़ा मामला सुनवाई के लिए उनके सामने लगना ही था. याचिका में उठाये गए सवाल अहम और दिलचस्प हैं. काश! मैं इस मामले को सुन पाता. मुझमें विश्वास रखने के लिए आपका शुक्रिया, लेकिन आप मेरी स्थिति को समझने की कोशिश कीजिए.

जब जस्टिस सीकरी का नाम विवादों में घसीटा गया

दरअसल जस्टिस एके सीकरी को हाई पावर कमेटी के सदस्य के तौर पर सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के बारे में फैसला लेने के लिए चीफ जस्टिस ने नामित किया था. उनके और प्रधानमंत्री के एकमत होने के चलते चयन समिति ने आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर को हटाने का फैसला लिया. समिति के तीसरे सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे इस फैसले से सहमत नहीं थे. बाद में मीडिया के हिस्से में ये रिपोर्ट किया गया कि सरकार कॉमनवेल्थ सेक्रेटेरिएट आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल (CSAT) के सदस्य के तौर पर जस्टिस सीकरी को नियुक्त करने जा रही है. हालांकि CSAT के लिए उन्होंने सहमति दिसंबर के पहले हफ्ते में दी थी, लेकिन इस नियुक्ति को आलोक वर्मा को ट्रांसफर करने के हाईपावर कमेटी के फैसले से जोड़ा गया. विवाद बढ़ने पर इसके बाद जस्टिस सीकरी ने CSAT सदस्य बनने के लिए दी सहमति वापिस ले ली.

यह भी पढ़ें : एम नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम निदेशक बनाये जाने के मामले की सुनवाई टली, केस से अलग हुए CJI

दायर याचिका में की गई हैं ये मांगें 

सरकार ने 10 जनवरी को एम नागेश्वर राव को आलोक वर्मा के हटने के बाद नए निदेशक की नियुक्ति तक अंतरिम निदेशक का कार्यभार दिया गया था. वकील प्रशांत भूषण के जरिये एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस नियुक्ति के लिए हाई पावर कमेटी की मंजूरी नहीं ली गई जो DSPE एक्ट का उल्लंघन है, लिहाजा ये नियुक्ति रदद् होनी चाहिए. हाई पावर कमेटी में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस शामिल होते हैं. याचिका में कहा गया है कि इससे पहले 23 अक्टूबर को नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त किये जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट आठ जनवरी को रद्द कर चुका है, उसके बावजूद सरकार ने मनमाने, गैर क़ानूनी तरीके से उनको फिर से अंतरिम निदेशक बना दिया. इसके अलावा याचिका में सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये स्पष्ट व्यवस्था देने का अनुरोध किया गया है.

एम नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम निदेशक बनाये जाने के मामले की सुनवाई टली, केस से अलग हुए CJI

Source : Arvind Singh

CBI Director CJI Ranjan Gogoi CBI vs CBI Advocate Dushyant Dave M HNageshwar Rao Justice AK Sikri Supreme Court
      
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