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पुणे: पेशवा की हार पर दलितों के जश्न से भड़की हिंसा, बैकफुट पर फडणवीस सरकार, कराएगी न्यायिक जांच

महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसक झड़प और आगजनी में कम से कम एक लोगों की मौत हो गई।

Updated on: 02 Jan 2018, 04:58 PM

highlights

  • पुणे में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान हिंसा
  • एक युवक की मौत, पीड़ित परिवार के लिए फडणवीस सरकार ने 10 लाख रुपये मुआवजे का किया ऐलान
  • शरद पवार ने कहा, लोग वहां पिछले 200 सालों से जा रहे हैं, पहले कभी ऐसा नहीं हुआ

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसक झड़प और आगजनी में कम से कम एक युवक की मौत हो गई।

हर साल मनाए जाने वाले कार्यक्रम में अब तक हिंसा नहीं हुई है।

हिंसा के बाद विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ भारतीय जनता दल (बीजेपी) की सहयोगियों ने फडणवीस सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया है।

इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने न्यायिक जांच का आश्वासन दिया है और हिंसा में मारे गये युवक के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है।

राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'कोरेगांव हिंसा मामले में हम सुप्रीम कोर्ट से न्यायिक जांच की मांग करेंगे। युवक की हत्या मामले की जांच सीआईडी को सौंपी जाएगी। पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।'

मुख्यमंत्री ने हिंसा पर कहा कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है। भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हरा दिया था। जिसके जश्न में दलित हर साल कार्यक्रम का आयोजन करते हैं।

हिंसा ने पकड़ा राजनीतिक रंग

केंद्र और राज्य सरकार में बीजेपी की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आरपीआई) केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने हिंसा और एक की मौत की जांच की मांग की है।

महाराष्ट्र में दलितों के बड़े नेता अठावले ने कहा, 'हमने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से बात की है और मामले की निष्पक्ष रूप से जांच कराने के लिए कहा है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। ताकि ऐसी घटना दोबारा ना होने पाए।'

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वहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने भी हिंसा की निंदा की है।

उन्होंने कहा, 'लोग वहां पिछले 200 सालों से जा रहे हैं। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। यह उम्मीद थी कि 200वें वर्षगाठ के कार्यक्रम में ज्यादा लोग आएंगे। इस मामले में ज्यादा ध्यान देने की जरुरत थी।'

कैसे फैली हिंसा

खबर के मुताबिक, भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह के जश्न में शामिल होने जा रहे लोगों पर हमला किया गया और कई गाड़ियों को जला दिया गया। इसी दौरान एक युवक की मौत हो गई।

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दूसरे दिन भी हिंसा

मंगलवार को दूसरे दिन भी हिंसा की घटना सामने आई। जहां हादपसर, फरसुंगी में बसों में तोड़-फोड़ की। प्रशासन ने स्थानीय लोगों के प्रदर्शन को देखते हुए अहमदनगर-औरंगाबाद बस सेवा रोक दी है।

हिंसा के खिलाफ हुए प्रदर्शन की वजह से चेंबूर और गोवंडी के बीच लोकल ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित हुई है। पूरे इलाके में भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है।

जिग्नेश पहुंचे थे भीमा-कोरेगांव

गुजरात के बनासकांठा जिले के वडगाम निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी सोमवार को दलितों के विजयी जश्न में भाग लिया था।

उन्होंने हिंसा पर कहा, 'कुछ लोग दुनिया से डर कर फैसले छोड़ देते हैं, और कुछ लोग हमारे जैसे नौजवान आंदोलनकारी से डर कर केसरिया रंग छोड़ देते हैं…!!'

क्यों मनाया जाता है उत्सव

200 साल पहले साल 1818 में ब्रिटिश राज में हुई एक लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हरा दिया था।

पेशवा से वहां के अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय (दलित) काफी नाराज थे। कई इतिहासकारों का मानना है कि पेशवा के अत्याचार के खिलाफ महार समुदाय ने ईस्ट इंडिया कंपनी का साथ दिया था। 

जीत के बाद से दलित हर साल जश्न मनाते हैं। जिसका दक्षिणपंथी समूह विरोध करते रहे हैं।

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