जगदीश सिंह खेहर ने कहा- हिंदुत्व की राजनीति भारत के हित में नहीं

हिंदुत्व की राजनीति की आलोचना करते हुए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने गुरुवार को कहा कि ऐसी राजनीति भारत के लिए वैश्विक शक्ति बनने की राह में बाधक बन सकती है।

हिंदुत्व की राजनीति की आलोचना करते हुए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने गुरुवार को कहा कि ऐसी राजनीति भारत के लिए वैश्विक शक्ति बनने की राह में बाधक बन सकती है।

author-image
sankalp thakur
एडिट
New Update
जगदीश सिंह खेहर ने कहा- हिंदुत्व की राजनीति भारत के हित में नहीं

जगदीश सिंह खेहर (फाइल फोटो)

हिंदुत्व की राजनीति की आलोचना करते हुए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने गुरुवार को कहा कि ऐसी राजनीति भारत के लिए वैश्विक शक्ति बनने की राह में बाधक बन सकती है।

Advertisment

24वें लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल लेक्चर में खेहर ने कहा, 'भारत वैश्विक शक्ति बनने की आकांक्षा रखता है। वैश्विक परिदृश्य में अगर आप मुस्लिम देशों के साथ मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहते हैं तो आप वापस अपने देश में मुस्लिम विरोधी नहीं बन सकते। अगर आप ईसाई देशों के साथ मजबूत संबंध चाहते हैं तो आप ईसाई-विरोधी नहीं बन सकते।'

उन्होंने कहा, 'आज जो कुछ हो रहा है, वह भारत के हित में नहीं है, खासतौर से अगर हम सांप्रदायिक मानसिकता प्रदर्शित कर रहे हैं तो वह ठीक नहीं है।'

खेहर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने जान-बूझकर 1947 में धर्म-निरपेक्षता को चुना था, जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इस्लामिक रिपब्लिक बनने का फैसला लिया। इस अंतर को समझा जाना चाहिए।

पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने शास्त्री के जीवन से संबंधित एक आदर्श के रूप में धर्म निरपेक्षता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सफलतापूर्वक देश के नेतृत्व करने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री कहा करते थे कि भारत धर्म को राजनीति में शामिल नहीं करता है।

और पढ़ें: दक्षिण चीन सागर में वियतनाम ने दिया भारत को निवेश प्रस्ताव, भड़का चीन

उन्होंने कहा, 'शास्त्री ने एक बार देखा कि हमारे देश की खासियत है कि हमारे देश में हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी और अन्य धर्मो के लोग रहते हैं। हमारे यहां मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर हैं। लेकिन हम इन सबको राजनीति में नहीं लाते हैं। जहां तक राजनीति का सवाल है, हम उसी प्रकार भारतीय हैं जिस प्रकार अन्य लोग।'

पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि शास्त्रीजी धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, आवास, भाषा आदि को लेकर समूहों के बीच भाईचारा बनाए रखने के मार्ग में बाधक पूर्वाग्रहों को दंडात्मक अपराध के रूप में भारतीय दंड संहिता में धारा 153ए जोड़ने के लिए एक विधेयक लाए थे।

और पढ़ें: बजट से पहले सरकार ने लगाई FDI सुधारों की झड़ी, एयरलाइंस, कंस्ट्रक्शन-रिटेल में बढ़ी निवेश की लिमिट

Source : IANS

Hindutva js khehar
      
Advertisment