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कोटा के अस्पताल में नवजातों की हुई मौत की होगी जांच, BJP ने 4 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल किया नियुक्त

जांच करने के बाद प्रतिनिधिमंडल तीन दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करेंगे

Updated on: 30 Dec 2019, 08:26 PM

नई दिल्ली:

राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा में नवजातों की हुईं मौतों की जांच होगी. इसके लिए बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को चार सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल नियुक्त किया है. प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को कोटा का दौरा करेंगे. वहां एक अस्पताल में नवजातों की हुईं मौतों की जांच करेंगे. जांच करने के बाद प्रतिनिधिमंडल तीन दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करेंगे.

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बता दें कि राजस्थान के कोटा स्थित जेके लॉन अस्पताल में 48 घंटों में 10 बच्चों की मौत हुई थी. जिसके बाद से सियासत तेज हो गई. बीजेपी गहलोत सरकार पर जमकर वार कर रही है. वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का शर्मिंदा करने वाला बयान सामने आया था. अशोक गहलोत ने कहा है कि पिछले छह साल में से इस साल सबसे कम बच्चों की मौत हुई है. पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि पिछले छह साल में इस साल सबसे कम बच्चों की मौत हुई है.

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यहां तक की 1 बच्चे की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन पिछले सालों में 15 सौ और 13 सौ बच्चों मौतें हुईं, इस साल यह आंकड़ा 900 है. राज्य और देश में हर अस्पताल में हर रोज कुछ मौतें होती हैं, कुछ भी नया नहीं होता. कार्रवाई की जा रही है. वहीं, गहलोत सरकार ने जेके लॉन अस्पताल अधीक्षक डॉ एचएल मीणा को हटा दिया. उनकी जगह पर डॉ सुरेश दुलारा को नया अधीक्षक बनाया गया. बता दें कि जेके लॉन अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर एचएल मीना ने दस बच्चों की दो दिन में हुई मौत पर सफाई देते हुए कहा था कि कोटा डिवीजन में यह मां और बच्चे का सबसे बड़ा सरकारी रेफरल अस्पताल है.

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यहां पर पड़ोसी जिले भिलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के लोगों को इलाज के लिए रेफर किया जाता है. उन्होंने आगे कहा था कि ज्यादातर शिशु और बच्चों को अंतिम स्थिति में प्राइवेट या फिर सरकार हेल्थ सेंटर्स से रेफर किया जाता है, जिसके चलते औसतन रूप से रोजाना एक शिशु की मौत हो जाती है. कई दिन ऐसे भी हुए जब एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई.इसलिए, दो दिन में दस बच्चों की मौत हालांकि ज्यादा है लेकिन यह असामान्य नहीं है.