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नैटपोलरेक्स -VIII पर पत्रकारिता विवरण- ‘स्वच्छ समुद्रों की ओर एक बड़ा कदम’

भारतीय तटरक्षक ने राष्ट्रीय स्तर के प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास के 8वें संस्करण जिसका कोड नाम है नैटपोलरेक्स (NATPOLREX)-VIII का 19 से 20 अप्रैल 22 तक मुरगांव पत्तन, गोवा में सफलतापूर्वक आयोजन किया.

Updated on: 19 Apr 2022, 07:30 PM

नई दिल्ली:

भारतीय तटरक्षक ने राष्ट्रीय स्तर के प्रदूषण प्रतिक्रिया अभ्यास के 8वें संस्करण जिसका कोड नाम है नैटपोलरेक्स (NATPOLREX)-VIII का 19 से 20 अप्रैल 22 तक मुरगांव पत्तन, गोवा में सफलतापूर्वक आयोजन किया. इस अद्वितीय समुद्री रिसाव तैयारी अभ्यास का उद्घाटन डॉ. अजय कुमार, भा.प्र.से., सचिव, रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने डॉ. एम रविचंद्रन, सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस), पत्तन एवं नौवहन मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी), भारतीय नौसेना और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गोवा एवं विभिन्न वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया. इस कार्यक्रम में 50 एजेंसियों के 85 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें 22 मित्र-देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 29 विदेशी पर्यवेक्षक और श्रीलंका और बांग्लादेश के दो तटरक्षक पोत शामिल रहे.

महानिदेशक वीएस पठानिया, पीटीएम, टीएम, महानिदेशक भारतीय तटरक्षक, जो एनओएसडीसीपी के अध्यक्ष, और भारतीय जल में समुद्री प्रदूषण के लिए एसएसीईपी (SACEP) समझौता ज्ञापन के लिए सक्षम राष्ट्रीय प्राधिकरण भी हैं, ने अपने संबोधन में साझा किया कि भारतीय तटरक्षक समुद्री तेल और समुद्र में रासायनिक रिसाव सहित क्षेत्र और उनके संसाधनों को पर होने वाले खतरों को समझने और उनका समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने जोर देकर कहा कि जैसे-जैसे नई समस्याऐं उभर रही हैं, हितधारकों को बेहतर साझेदारी, प्रभावी समन्वय और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से सहयोग बढ़ाने के अवसर को पहचानना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि 18 से 29 अप्रैल 22 तक चेन्नई में 43 प्रतिभागियों के समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया प्रशिक्षण के अनुरूप  नैटपोलरेक्स-VIII आयोजित किया जा रहा है, जिसमें महानिदेशक भारतीय तटरक्षक और महानिदेशक दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (एसएसीईपी) के बीच द्विपक्षीय संवाद के साथ-साथ दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम सदस्य राज्यों के पोतों और प्रतिनिधियों की भागीदारी तथा 21-22 अप्रैल 22 को मुंबई में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन, जिसमें सदस्य राज्यों के प्रतिनिधियों के लिए एक समर्पित, दो दिवसीय कार्यशाला शामिल है.

वर्तमान में, कच्चे तेल के तीसरे सबसे बड़े आयातक के रूप में, भारत पोतों के माध्यम से बड़ी मात्रा में तेल प्राप्त करता है. इसी तरह, भारत प्रमुख रासायनिक आयातक देश के रूप में दुनिया में छठे स्थान पर है. तेल और रसायन दोनों यदि समुद्र में गिर जाए तो भारत के समुद्री क्षेत्रों और बड़ी तटीय आबादी से जुड़े हुए समुद्र तट, समुद्री पारिस्थितिकी प्रणाली, उद्योगों और विभिन्न प्रतिष्ठानों के साथ-साथ पर्यटन उद्योग के लिए अंतर्निहित जोखिम पैदा कर सकते हैं. इस प्रकार, किसी भी संभावित समुद्री रिसाव से निपटने के लिए तैयार करने के लिए केंद्रीय समन्वय एजेंसी, जहाज मालिकों, तेल संचालन सुविधाओं और अन्य संबंधित हितधारकों द्वारा निवारक उपाय किए जाने की आवश्यकता है.

नैटपोलरेक्स-VIII का उद्देश्य राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आपात योजना (एनओएसडीसीपी) में निहित प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर एसएसीईपी समझौता ज्ञापन के तत्वावधान में मान्यता प्रदान करना है, जिसका भारत एक सदस्य राज्य है. अभ्यास के दौरान एनओएसडीसीपी के विभिन्न घटकों को आपात योजनाओं को मान्य करने और सुधारने एवं समुद्र में किसी भी समुद्री रिसाव आपदा से निपटने के लिए संसाधन एजेंसियों के साथ-साथ हितधारकों की तैयारी का मूल्यांकन किया गया. अभ्यास का समन्वय भारतीय तटरक्षक द्वारा किया गया, जिसमें संसाधन एजेंसियों और पत्तनों, तेल संचालन एजेंसियों (ओएचए), तटीय राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों और अन्य संसाधन एजेंसियों सहित हितधारकों की परिसंपत्तियों को शामिल किया गया. अभ्यास में टेबल-टॉप अभ्यास, समुद्री तेल पर प्रदूषण प्रतिक्रिया कार्यशाला और समुद्र में अभ्यास के बाद दो दिवसीय कार्यक्रम शामिल है, जिसकी समीक्षा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में  एनओएसडीसीपी के अध्यक्ष द्वारा  की गई.

डॉ. मोहम्मद मासुमुर रहमान, दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (एसएसीईपी) के महानिदेशक और महानिदेशक वीएस पठानिया, पीटीएम, टीएम, महानिदेशक भारतीय तटरक्षक, जो एनओएसडीसीपी के अध्यक्ष और भारतीय जल में समुद्री प्रदूषण के लिए एसएसीईपी समझौता ज्ञापन के लिए सक्षम राष्ट्रीय प्राधिकरण भी हैं, इस अवसर पर उपस्थित रहें. चूंकि, भारतीय तटरक्षक नौवहन मंत्रालय से समुद्री रिसाव की प्रतिक्रिया के लिए अपना जनादेश प्राप्त करता है, जिसका प्रतिनिधित्व फोरम में अतिरिक्त महानिदेशक नौवहन द्वारा किया गया.

समुद्री अभ्यास के दौरान भारतीय तटरक्षक के 13 पोतों और 10 विमानों और भारतीय वायु सेना के 01 विमान (सी-131), एसएसीईपी के सदस्यों जो हैं श्रीलंकाई तटरक्षक और बांग्लादेश तटरक्षक, के 02 पोतों, और ओएनजीसी से 01 ओएसवी, एससीआई  की परिसंपत्ति और मुरगावं पत्तन न्यास के टग्स ने साइड स्वीपिंग आर्म्स, बूम और स्किमर्स की तैनाती, सिंगल शिप ऑपरेटेड कंटेनमेंट कम रिकवरी सिस्टम की स्ट्रीमिंग, अग्निशामक ड्रिल, बचाव संचालन के माध्यम से नियंत्रण सह समुद्री रिसाव पुनर्प्राप्ति और सतह और वायु तेल फैलाव प्रणालियों के प्रदर्शन द्वारा रोकथाम सह समुद्री स्पिल पुनर्प्राप्ति प्रणाली का प्रदर्शन किया.

यह अभ्यास ऐसे समय में किया जा रहा है जब सरकार की पहल के कारण समुद्री व्यापार में वृद्धि हो रही है. परिणामस्वरूप, अधिक से अधिक पोत/ जहाज हमारे पत्तनों में बढ़ी हुई मांगों को पूरा करने के लिए तेल और एचएनएस को संभाल रहे हैं. नैटपोलरेक्स-VIII सही दिशा में एक क्षेत्रीय कदम है, यह समुद्री रिसाव से निपटने में सभी हितधारकों की तैयारी और प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाता है. नैटपोलरेक्स-VIII के माध्यम से, भारतीय तटरक्षक ने एक बार फिर हमारी भावी पीढ़ियों के लिए समुद्री पारिस्थितिकी प्रणाली के सुरक्षा और संरक्षण के लिए खुद को समर्पित कर दिया। महानिदेशक भारतीय तटरक्षक ने सभी अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों, राष्ट्रीय हितधारकों और प्रतिभागियों को समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया में सहयोग को मजबूत करने और महामारी और यात्रा प्रतिबंधों की चुनौतियों के बावजूद उनकी उपस्थिति एवं रचनात्मक चर्चा के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया.

नैटपोलरेक्स के अलावा, तटरक्षक 18 से 29 अप्रैल 22 तक चेन्नई में हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के सदस्य राज्यों सहित 18 देशों के 45 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों के लिए समुद्री तेल प्रतिक्रिया और तैयारी में क्षमता निर्माण व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी आयोजित कर रहा है.