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झारखंड सरकार के मंत्री मिथिलेश और चंपई सोरेन बोले- टाटा की नीतियों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा

झारखंड सरकार के मंत्री मिथिलेश और चंपई सोरेन बोले- टाटा की नीतियों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा

Updated on: 23 Nov 2021, 08:50 PM

रांची:

झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय कार्यसमिति की मंगलवार को रांची में हुई बैठक के बाद झारखंड सरकार के मंत्री और झामुमो नेता मिथिलेश ठाकुर ने कहा है कि टाटा कंपनी की नीतियों के खिलाफ हमारा आंदोलन जारी रहेगा। इसकी रणनीति जल्द घोषित कर दी जायेगी। उन्होंने कहा कि टाटा कंपनी का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि झारखंड के स्थानीय लोगों के हक की लड़ाई को आवाज दे रहे हैं। कोई भी कंपनी झारखंड के संसाधनों का दोहन करेगी और यहां के लोगों को वाजिब हक नहीं देगी, झारखंड मुक्ति मोर्चा बर्दाश्त नहीं करेगा। राज्य सरकार के मंत्री चंपई सोरेन ने भी दोहराया है कि टाटा कंपनी झारखंड के लोगों को नीची ²ष्टि से देखना बंद करे। वह यहां के लोगों को रोजगार दे, अन्यथा आंदोलन किसी कीमत पर नहीं रुकेगा।

हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में इस मुद्दे पर औपचारिक तौर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, लेकिन बैठक के बाद पार्टी के नेताओं ने जो बयान दिये हैं, उससे यह साफ है कि आने वाले दिनों में टाटा समूह के खिलाफ झामुमो का आंदोलन तेज होगा। बता दें कि झारखंड मुक्ति मोर्चा टाटा मोटर्स व टाटा कमिंस कंपनी के जमशेदपुर स्थित मुख्यालय को महाराष्ट्र के पुणे में शिफ्ट करने का विरोध कर रहा है। झामुमो ने टाटा प्रबंधन को जो ज्ञापन सौंपा है, उसमें मुख्यालय वापस जमशेदपुर लाने और स्थानीय नीति के तहत तृतीय और चतुर्थ वर्गीय श्रेणी के 75 फीसदी पद आदिवासी और मूलवासियों के लिए आरक्षित करने की भी मांग की गयी है। गत 17 नवंबर को इस मुद्दे पर आठ विधायकों के नेतृत्व में झामुमो के हजारों कार्यकर्ताओं ने टाटा और चाईबासा में टाटा स्टील समेत टाटा मोटर्स और कमिंस कंपनी के गेट को पूरे दिन जाम रखा था।

इधर झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा की पार्टी टाटा के खिलाफ लड़ाई तेज करेगी, ये लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक लोगों को उनका हक और अधिकार नहीं मिलेगा। विधायक सुखराम उरांव ने कहा कि झारखंड सरकार ने यहां के स्थानीय लोगों के हित में यह निर्णय लिया है कि राज्य में स्थित सभी निजी कंपनियों को अपने-अपने प्रतिष्ठानों में 75 फीसदी स्थानीय लोगों को बहाल करना होगा।

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