जम्मू-कश्मीर की एसआईए ने एमबीबीएस सीट बेचने वाले गिरोह के मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की
जम्मू-कश्मीर की एसआईए ने एमबीबीएस सीट बेचने वाले गिरोह के मामले में पहली चार्जशीट दाखिल की
श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर की विशेष जांच एजेंसी (एसआईए) ने गुरुवार को एमबीबीएस सीट बेचने वाले गिरोह के मामले में अपना पहला आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल किया।एसआईए ने कश्मीरी छात्रों को पाकिस्तान में एमबीबीएस सीटें बेचने से संबंधित एक मामले में साल्वेशन मूवमेंट के अध्यक्ष जफर अकबर भट सहित नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
आरोप पत्र एनआईए अधिनियम के तहत श्रीनगर में विशेष न्यायाधीश नामित अदालत के समक्ष दायर किया गया है।
श्रीनगर में उस्मानिया कॉलोनी, बाग-ए-मेहताब के मोहम्मद अकबर भट उर्फ जफर अकबर भट के अलावा आठ अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है।
एसआईए द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से सूचना प्राप्त होने पर पुलिस थाना काउंटर इंटेलिजेंस, कश्मीर ने जुलाई 2020 में मामला दर्ज किया। कुछ हुर्रियत नेताओं सहित कई बेईमान व्यक्ति कुछ शैक्षिक परामर्शदाताओं के साथ हाथ मिला रहे थे और विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के अलावा पाकिस्तान आधारित एमबीबीएस सीटें बेच रहे थे।
बयान के अनुसार, जिस जानकारी के आधार पर मामले में आपराधिक जांच शुरू की गई थी, उससे यह भी पता चलता है कि इच्छुक या संभावित छात्रों के माता-पिता से एकत्र किए गए धन का उपयोग, कम से कम आंशिक रूप से, उग्रवाद और अलगाववाद के लिए अलग-अलग तरीकों से किया गया था।
एसआईए ने कहा कि जांच के दौरान मौखिक, दस्तावेजी और तकनीकी साक्ष्य एकत्र किए गए। इसके विश्लेषण पर यह सामने आया कि एमबीबीएस और अन्य पेशेवर डिग्री से संबंधित सीटों के लिए उन छात्रों को तरजीह दी गई, जो मारे गए आतंकवादियों के करीबी परिवार के सदस्य या रिश्तेदार हैं।
एजेंसी ने बताया कि साक्ष्य यह भी साबित करते हैं कि इससे कमाए गए पैसे को विभिन्न चैनलों में डाला गया था जो आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं।
बयान के अनुसार, उदाहरण के लिए, पाकिस्तान के विभिन्न संस्थानों में चिकित्सा और अन्य तकनीकी पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए एकत्र किए गए धन का उपयोग 2016 में बुरहान वानी सहित (आतंकवादियों) के खात्मे के बाद अशांति को बढ़ावा देने के लिए किया गया था। इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35ए और 370 को निरस्त करने के बाद इस धन की मदद से शांति को भंग करने के लिए हर संभव प्रयास किया गया था।
एसआईए ने दावा किया कि अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्यों द्वारा की गई पुष्टि और गवाहों से की गई पूछताछ में यह संकेत मिला है कि कई परिवारों ने आईएसआई के इशारे पर हुर्रियत के कार्यक्रम का लाभ उठाने के लिए हुर्रियत नेताओं से संपर्क किया। इसका उद्देश्य मारे गए आतंकवादियों के परिवार को मुफ्त एमबीबीएस और इंजीनियरिंग सीटें उपलब्ध कराकर आतंकवाद को बढ़ावा देना था।
बयान में कहा गया है कि मारे गए आतंकवादियों के परिजनों को संबंधित गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करके पाकिस्तान प्रायोजित एजेंडे को हवा देना भी मकसद था।
एजेंसी के मुताबिक, जांच के अनुसार, औसतन एक सीट की कीमत 10 से 12 लाख रुपये के बीच थी और हस्तक्षेप करने वाले एक हुर्रियत नेता की राजनीतिक पहुंच के आधार पर, इच्छुक छात्र और उसके परिवार को रियायतें दी जा रही थी।
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