झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल के ग्रामीण इलाकों में वंशानुगत प्रधान की नियुक्ति को झारखंड हाइकोर्ट की फुल बेंच ने उचित ठहराया है। कोर्ट ने कहा है कि यह संताल परगना एक्ट (एसपीटी) के प्रावधानों के अनुकूल है। संताल परगना प्रमंडल के आयुक्त ने अपने एक आदेश में वंशानुगत तौर पर ग्राम प्रधानों की नियुक्ति को संविधान की मूल भावना के विपरीत बताया था, जिसे चुनौती देते हुए अलुमनी हांसदा नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
आयुक्त ने एक आदेश में कहा था कि संथाल क्षेत्र में प्रधान की वंशानुगत नियुक्ति होती है, जो कि गलत है। वर्तमान में पूरे देश में भारत का संविधान लागू है। ऐसे में वंशानुगत प्रधान की नियक्ति करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
हाइकोर्ट की पूर्णपीठ ने आयुक्त के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि जनजातीय बहुल संताल परगना में संताल परगना (एसपीटी) एक्ट लागू है, जिसकी धारा पांच और छह में इसका स्पष्ट उल्लेख है कि प्रधान के बेटा और बेटी दोनों वंशानुगत आधार पर प्रधान नियुक्त हो सकते हैं। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह, जस्टिस रत्नाकर भेंगरा और जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया।
याचिका पहले सुनवाई के लिए हाइकोर्ट के एकलपीठ में सूचीबद्ध हुई थी। एकल पीठ ने इसे खंडपीठ में स्थानांतरित कर दिया। खंडपीठ ने इस मामले में पूर्व में दिए गए कई अलग- अलग आदेश के कारण इसे पूर्णपीठ में स्थानांतरित कर दिया। पूर्ण पीठ ने इस मामले में अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा को अमेकस क्यूरी नियुक्त किया था। सुनवाई के दौरान अमेकस क्यूरी इंद्रजीत सिन्हा ने अदालत को बताया कि संताल परगना एक्ट के मुताबिक प्रधान की नियुक्ति वंशानुगत होती है। इसमें रैयतों की अनुमति की जरूरत नहीं होती है। पूर्ण पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद बीते तीन फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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Source : IANS